रतीराम श्रीवास, टीकमगढ़। प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कार्यकाल में चारों तरफ अराजकता और भय का वातावरण निर्मित होता जा रहा है। आए दिन पुलिस के जवानों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं। प्राणघातक हमलों के पीछे सरकार की क्या मंशा है, यह समझ से परे है, किंतु यह सत्य है कि जनमानस में भय जैसा वातावरण महसूस हो रहा है। राज्य में पुलिस जवानों पर हो रही हमलों की घटनाओं पर विचार किया जाए तो स्थिति चिंताजनक नजर आ रही है और सरकार के नुमाइंदे कुम्भकर्ण की नींद सो रहे हैं।
अपुष्ट सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, यदि गौर किया जाए तो प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार में असामाजिक तत्वों तथा आदतन अपराधियों के हौसले दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। जनता की तो खैर ही क्या, जब जनता के रक्षक ही सुरक्षित नहीं हैं तो भला आम आदमी की कौन हिफाजत करेगा? बता दें कि 27 मार्च 2025 को सागर के सुरखी थाना क्षेत्र में भीड़ ने पुलिस टीम पर लाठी, कुल्हाड़ी और पत्थरों से हमला किया, जिसमें पुलिस के जवान घायल हुए। 15 मार्च 2025 को मऊगंज के गड़रा गांव में दो गुटों के विवाद में पुलिस टीम पर जानलेवा हमला किया गया। हमला इतना प्रचंड था कि एएसआई रामचरण गौतम की हमलावरों ने हत्या कर दी और कई पुलिसकर्मी घायल हुए। पुलिस जवानों पर हमले का सिलसिला बढ़ता ही गया। इसी तरह, 23 मार्च 2025 को सीहोर के खैरी गांव में दो गुटों के विवाद में एएसआई रामनारायण धुर्वे पर लाठी-डंडों से हमला किया गया, जिसमें एएसआई धुर्वे की हालत गंभीर बनी हुई है। 19 मार्च 2025 को दमोह में गोकशी के आरोपी ने पुलिस पर फायरिंग की, जिसमें एक एएसआई घायल हुआ।
बताते चलें कि बीते माह 21 अगस्त 2024 को कट्टरपंथी भीड़ ने छतरपुर शहर कोतवाली पर हमला किया। पथराव के दौरान पुलिस के जवान घायल हुए। ठीक इसी प्रकार, 15 मार्च 2025 को इंदौर शहर में अधिवक्ता और पुलिस के बीच संघर्ष के दौरान पुलिस पर हमला हुआ, जिसमें कई पुलिस सिपाहियों को गंभीर चोटें आईं। बीते 10 फरवरी 2025 को शहडोल नगर में अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई के दौरान पुलिस टीम पर पथराव किया गया, जिसमें सिपाही घायल हुए। सूत्र बताते हैं कि 9 मार्च 2025 को महू में चैंपियंस ट्रॉफी जीत की खुशी में जुलूस के बाद हिंसा की स्थिति उत्पन्न हुई और पुलिस पर हमला हुआ। इस दौरान स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। अब पीछे जाएं तो 7 सितंबर 2024 को छिंदवाड़ा के मोचीपुरा में गणेश प्रतिमा स्थापना के समय पुलिस पर पथराव किया गया, जिसमें वाहन क्षतिग्रस्त हुए। बीते माह 14 जून 2024 को रतलाम के जावरा में जगन्नाथ महादेव मंदिर में बछड़े का सिर मिलने से शहर में तनाव की स्थिति बन गई। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर हमला किया। आगे इसी तरह, 15 नवंबर 2024 को दतिया नगर के भांडेर थाना परिसर से पुलिस टीआई का सरकारी चार पहिया वाहन चोरी होना यह दर्शाता है कि मोहन सरकार में असामाजिक तत्वों को खुली छूट मिल रही है।
कयास तो यह भी लगाया जा रहा है कि सरकार ने पहली घटना में कार्रवाई तो की, लेकिन उससे और ज्यादा हमलों में इजाफा हुआ। प्रदेश में पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के सपा मुखिया की एक जमाने में सरकार हुआ करती थी। पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव की सरकार में पुलिस जवानों की पिटाई होती थी। कहीं वही गंध तो अपने पैर नहीं पसारना चाहती? अब देखना है कि मोहन सरकार अपने राज्य में गुंडों और अपराधियों को संरक्षण देने वालों का समर्थन करती है या उन्हें नेस्तनाबूद करती है। और अब सरकार क्या निर्णय लेती है, यह देखने वाली बात होगी।