सिहोरा- सिहोरा जिला की मांग पर चल रहा आंदोलन अब भाजपा को वोट न देने के संकल्प की घोषणा और सरकार से मिले जो भी सम्मान मिलें हैं उनकी वापसी तक पहुँच गया। पिछले दो दिनों से आक्रोशित सिहोरा वासियों ने सोशल मीडिया पर भाजपा को वोट न देने के संकल्प की सार्वजनिक घोषणा की कर दी है । तो नगर के आरएसएस (RSS) के एक सदस्य जो सिहोरा का ही नागरिक है उसने मीसाबंदी के सम्मान को वापस करने के ऐलान से सारे शहर और सभी पार्टियों के नेताओं को ध्यान आकर्षित कर दिया है।
ये बैठे भूख हड़ताल पर- आंदोलन में क्रमिक भूख हड़ताल के क्रम में मानस तिवारी,अमित बक्शी, प्रकाश मिश्रा और अजय विश्वकर्मा दिन भर भूख हड़ताल पर बैठे।शाम को नगर के प्रबुद्ध जनों पवन सोनी,संतोष पांडे ने जूस पिलाकर भूख हड़ताल से उठाया।
भाजपा को वोट न देने की सार्वजनिक घोषणा -
पहले 20 वर्षो से जिला बनने के बाद भी अंतिम अधिसूचना जारी न करना और अब दो वर्षो के लगातार आग्रह के बाद भी अनदेखी से सिहोरा वासियों में सत्ता के प्रति गहरा आक्रोश है। कल तक सार्वजनिक रूप से भाजपा की सदस्यता त्यागने और भाजपा को वोट न देने की अनेक नगरवासियों ने सार्वजनिक घोषणा की।आने वाले समय में यह क्रम और बढ़ सकता है।
मीसाबंदी सम्मान लौटाने की घोषणा
सिहोरा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पूर्व प्रचारक प्रमोद जी साहू ने अपने संपूर्ण बुजुर्गों द्वारा सिहोरा एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में दिए गए समय का जिक्र करते हुए अपने पिता स्व पुरुषोत्तम लाल जी साहू को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रदान किए गए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मीसाबंदी सम्मान और सम्मान निधि को 5 सितंबर 2023 को लौटाने की सार्वजनिक घोषणा की है ।सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि उनके पिता एवं काका 21 महीनों तक इमरजेंसी के दौरान जेल में रहे और वे स्वयं 25 वर्षों तक महाकौशल प्रांत में प्रचारक के रूप में अपना दायित्व निभाया। उन्होंने अपनी मातृभूमि जन्मभूमि सिहोरा के साथ हुए अन्याय को सामने लाते हुए पीड़ा व्यक्ति की है कि मध्य प्रदेश की सरकार सिहोरा का ध्यान नहीं दे रही है सिहोरा को जिला ना बनाए जाने पर व्यथित होते हुए उन्होंने सम्मान में दिए गए ताम्र पत्र और सम्मान निधि को 5 सितंबर 2023 को सरकार को लौटाने का ऐलान किया है।