जिला अध्यक्ष संतोष सोनी ने एनपीएस से रिटायर हो रहे कर्मचारी एवं मृत हो
रहे कर्मचारियों के परिवार की दुर्दशा को बताते हुए समस्त शिक्षकों से
अपील की है कि हम रिटायरमेंट के बाद 2000 से 2500 हजार रुपये मात्र
एनपीएस स्कीम के तहत पेंशन पाने के अधिकारी रहेंगे, यदि इस दौरान हम मृत
होते हैं तो हमारे परिवार को भी यही पेंशन का लाभ मिलेगा जिससे ना तो
हमारे परिवार का गुजर-बसर संभव है ना ही हमारे बुढ़ापे का गुजर बसर संभव
है। आज एनपीएस के तहत कर्मचारियों का जो शोषण बाजार में बैठे पूंजीपतियों
के द्वारा किया जा रहा है वह किसी भी कर्मचारी के लिए सिर्फ और सिर्फ
जानलेवा है। सरकार ने पुरानी पेंशन तो बंद की साथ ही प्रदेश में कार्यरत
लाखों शिक्षकों के परिवारों को दरबदर की ठोकर खाने के लिए मजबूर कर दिया।
वही चुनाव जीत कर आने वाले जनप्रतिनिधियों को पुरानी पेंशन का अधिकारी
बना दिया जाता हैै, किंतु 62 वर्ष की उम्र तक सेवा करने के उपरांत भी उन
कर्मचारियों को एनपीएस का लाभ दिया जाता है यह न्याय संगत नहीं है।
कर्मचारी अपनी पूरी जिंदगी बच्चों को पढ़ाने शासकीय कामकाज करनेे, शासकीय
योजनाओं को अमल में लाने, ग्राम पंचायत जिला पंचायत विधानसभा एवं लोकसभा
जैसे चुनाव संपन्न कराने एवं जनप्रतिनिधि निर्वाचित करने का काम करता
रहता है । सबसे बड़ी विडंबना यह है कि कर्मचारी जिन सदस्यों को निर्वाचित
करवाता है वह पेंशन धारी बनते हैं, और स्वयं कर्मचारी पेंशन विहीन प्राणी
कहलाता है।
सरकार के इस दमनकारी फैसले को लेकर संयुक्त मोर्चा ने 20 अगस्त को भोपाल
में पुरानी पेंशन के लिए हल्ला बोलने की तैयारी शुरू कर दी है। 20 अगस्त
को जिले भर के सारे अध्यापक शिक्षक तीन दिवस के लिए भोपाल में धरना देंगे
इसके बाद भी सरकार नहीं चेती तो उग्र आंदोलन 23 अगस्त से आरंभ किया
जाएगा।
सभी कर्मचारियों से सामूहिक अवकाश के फॉर्म भरवाने का काम निरंतर जारी है।
बैठक में क्रमोन्नति का मुद्दा गरमाया
12 वर्ष की एवं 24 वर्ष की सेवा करने के उपरांत कर्मचारी एक इंक्रीमेंट
के लिए निरंतर अधिकारियों के आदेश का इंतजार करता रहता है किंतु सहायक
आयुक्त कार्यालय एवं उपायुक्त कार्यालय में बैठे कर्मचारियों के कानों
में जूं तक नहीं रेंगती है अनेकों बार ज्ञापन के माध्यम से क्रमोन्नति के
आदेश जारी करवाने की मांग की गई किंतु उन्होंने इस मांग को नकारा करते
हुए संगठन को ठेंगा दिखाने का काम किया है। बैठक में निर्णय लिया गया कि
एक अल्टीमेटम जिला कलेक्टर महोदय को देने के उपरांत तीन दिवस के बाद धरना
प्रदर्शन किया जाएगा।