केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कल ही कहा था कि कोई किसी का गढ़ नहीं होता और आज कोलारस में सिंधिया के गढ़ की झलक दिखाई दी। जाटव समाज के सम्मेलन में जाटव समाज के नेताओं को मंच पर आमंत्रित नहीं किया गया। गुना शिवपुरी के सांसद एवं कोलारस विधानसभा के विधायक ने कार्यक्रम से दूरी बनाकर रखी। पूरा कार्यक्रम सिंधिया से शुरू हुआ और सिंधिया पर खत्म हुआ। भाजपा के कुछ नेता तो दिखाई दिए परंतु भाजपा नजर नहीं आई।
जाटव समाज के सम्मेलन का आयोजन कौन था
एक बड़ा सवाल यह भी है कि कोलारस में आयोजित हुए जाटव समाज के सम्मेलन का आयोजन कौन था। कोलारस के जाटव समाज को पता नहीं था कि उनका सम्मेलन हो रहा है। कार्यक्रम में जाटव समाज की ओर से ना तो स्वागत में कोई बैनर पोस्टर लगाए गए थे और ना ही जाटव समाज के संगठनों की ओर से किसी प्रकार की शिरकत की गई थी। मंच पर केवल सिंधिया समर्थक नजर आ रहे थे। चारों तरफ सिंधिया समर्थकों के पोस्टर लगे हुए थे। कोलारस में जाटव समाज के नेता के रूप में सिंधिया समर्थक स्वास्थ्य मंत्री श्री प्रभु राम चौधरी को शामिल किया गया था।
नरवर में पीड़ितों से मिलने तक नहीं गए कोलारस में कहा कि मैं इनके साथ इनका योद्धा बनकर खड़ा हूँ।
सांसद और विधायक ने बनाई दूरी
उल्लेख करना अनिवार्य है कि, कोलारस विधानसभा क्षेत्र में कार्यक्रम हुआ और कोलारस के विधायक कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हुए। बताया गया है कि उन्हें आमंत्रित किया गया था परंतु कोलारस विधायक श्री वीरेंद्र रघुवंशी, बीमारी का बहाना बनाकर शिवपुरी से बाहर चले गए। सांसद श्री केपी सिंह ने पिछली बार यादव समाज के सम्मेलन में आपत्ति उठाई थी। उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया था। इस बार क्या हुआ पता ही नहीं चला। श्री केपी सिंह यादव से दो बार संपर्क करने का प्रयास किया गया परंतु उन्होंने ना तो फोन रिसीव किया और ना ही उनके ऑफिस से कॉल बैक आई। शायद उन्हें पता था कि सवाल क्या होगा।
पिछोर में महाराज ने कौन सी मूर्ति लगाई थी
श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कोलारस में जाटव समाज के सम्मेलन में कहा कि, पिछोर में 3 साल पहले जब बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर जी की मूर्ति को खण्डित किया गया था तब सिंधिया परिवार ने 24 घंटे के अंदर बाबासाहेब जी की नई मूर्ति की स्थापना करवाई थी। लोग अब तक समझ नहीं पाए हैं कि, सिंधिया परिवार ने कौन सी मूर्ति लगवाई थी। हां मध्य प्रदेश शासन में जरूर एक मूर्ति लगवाई थी। खंडित हुई थी तो लगवाना ही थी, इसमें उल्लेखनीय क्या है। यह तो शर्मनाक है कि शरारती तत्वों के हौसले इतने बुलंद हुए कि उन्होंने मूर्ति खंडित कर दी। सम्मेलन में महाराज ने बताया नहीं कि खंडित करने वाले पकड़े गए या नहीं। सिंधिया परिवार ने उन्हें क्या सजा दी।