भोपाल। परिवार कमोवेश एक सार्वभौमिक, स्थायी व सर्वकालिक संस्था है। प्रत्येक समाज में परिवार का अस्तित्व निश्चित रूप से किसी न किसी स्वरूप में अवश्य रहा है, मानव सभ्यता के विकास की शुरुआत परिवार के विकास से ही मानी जाती है, विकास की इस यात्रा में परिवार अपने साथ कई परिवर्तन लेकर आंगे बढ़ता हुआ इस स्वरूप तक आ पंहुचा है, किंतु इस समसामयिक काल में सोशल मीडिया का प्रभाव समाज के प्रत्येक संस्था पर पढ़ रहा है।परिवार भी इस प्रभाव से अछूता नहीं है।
यह सच है कि सोशल मीडिया और अन्य नए साधनों से हम पहले से कहीं अधिक लोगों से जुड़े रहते हैं परंतु इस जुड़ाव में अधूरापन है। सोशल मीडिया हर उम्र के लोगों की जरुरत बन चुका है। ऐसे में घरों में रिश्तों के समीकरण बड़े पैमाने पर बदल रहे हैं। अब व्यक्ति अपने आसपास की घटनाओं तक को भी प्रत्यक्ष न देख कर इसी सोशल मीडिया द्वारा ही समझने की कोशिश करने लगा है, जिससे परिवार में संरचनात्मक एवं प्रकार्यात्मक दोनों प्रकार के बदलाव अब दिखाई देने लगे हैं जिसका सीधा प्रभाव समाज के स्थायित्व एवं संरचना पर दिखाई देने लगा है।
परिवार के प्रमुख रूप से 3 कार्य होते हैं
1. योन संबंधी कार्य
2. प्रजनन संबंधी कार्य तथा
3. पालन पोषण या सामाजिकरण संबंधी कार्य
परिवार के प्रमुख तीन कार्यों में तीसरा प्रमुख कार्य पालन पोषण एवं सामाजीकरण सबसे महत्वपूर्ण है, सामाजीकरण, मानव जीवन का सबसे महत्वपूर्ण चरण है, जो व्यक्तियों को मनुष्यता की पहचान कराते हुए पशु समाज से मनुष्य समाज में शामिल करता है। सामाजीकरण को सिखाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका परिवार की होती है, क्योंकि परिवार के सदस्य पालन पोषण के दौरान संस्कृति एवं सामाजिक विधानो से परिचय कराना आरंभ कर देते हैं l जिस समाज में परिवार का महत्व अधिक होता है उस समाज में नैतिक घनत्व अधिक होता है और जिस समाज में परिवार की कड़ी कमजोर होगी वहां नैतिकता के स्थान पर औपचारिक संबंधों का निर्माण होगा, जिसमें अच्छे एवं बुरी की परवाह करे बिना व्यक्तिगत स्वार्थों को अधिक महत्व देते हैंl
सोशल मीडिया ने परिवार के मनोरंजन के साधनों के साथ ही सामाजीकरण की प्रक्रिया वह भी बिगाड़ दिया है इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि व्यक्ति परिवार में समय देने के स्थान पर सोशल मीडिया पर अधिक समय दे रहा है सोशल मीडिया से जुड़ा मन अपनों का ख्याल रखने के लिए मात्र पैसा प्रदान करने की इजाजत देता है वक्त नहीं l इस समय की कमी के कारण हम कभी -भी यह ध्यान नहीं दे पाते कि हमारे बच्चे का सामाजीकरण किस प्रकार से चल रहा है, वह वह कौन सी किताबें पढ़ रहे हैं और वह अपने जीवन को इन चुनौतियों के साथ आगे ले जा रहे हैं इनका ख्याल हम धीरे धीरे भूलते जा रहे हैं l सोशल मीडिया के युग में हम पारिवारिक जिम्मेदारी को को भूलते जा रहे हैं l
सोशल मीडिया के कारण परिवारों का बदलता चेहरा पारिवारिक संरचनाओं और विन्यासो की बढ़ती विविधता को दर्शाता है। यदि हमें निश्चित रूप से अगर सामाजिक व्यवस्था की बेल को मजबूत करना है तो परिवार को गंभीरता से समझना होगा। भले ही परिवार आपके लिए कैसा भी रूप ले, एक बात निश्चित है – परिवार हमें आकार देता है। हमारा परिवार दुनिया के लिए हमारा पहला परिचय है। हम अपने परिवार से सबसे बुनियादी और सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक कौशल सीखते हैं। इसके अलावा, हम उनके माध्यम से अपनी भावनात्मक जरूरतों को भी पूरा करते हैं।