अतिथि शिक्षक समन्वय समिति के प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह परिहार के आग्रह पर मध्यप्रदेश कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष श्री रमेशचंद्र शर्मा जी ने मुख्यमंत्री जी और स्कूल शिक्षा मंत्री को छत्तीसगढ़ , हरियाणा और राजस्थान सरकार की भांति अतिथि शिक्षकों के लिए नीति बनाने के लिए पत्र लिखा है। इसी कड़ी में स्कूल शिक्षा मंत्री जी ने भी मुख्यमंत्री जी को नीति बनाने के संबंध में प्रस्ताव भेजा है । सभी अतिथि शिक्षकों की ओर से प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह परिहार ने शिक्षा मंत्री जी और श्री रमेशचंद्र शर्मा जी का आभार व्यक्त किया है।
मुख्यमंत्री जी करेंगे अतिथि शिक्षकों के भविष्य का फैसला
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में विगत चौदह वर्षों से अतिथि शिक्षक बहुत ही अल्प मानदेय पर सेवाएं देते आ रहे हैं जिनको कभी भी सेवा से अलग कर दिया जाता है। जबकि छत्तीसगढ़ , हरियाणा और राजस्थान सहित कई राज्यों ने नीति बनाकर भविष्य सुरक्षित किया है। अब अतिथि शिक्षकों के भविष्य का फैसला मुख्यमंत्री जी के हाथ में है। अतिथि शिक्षकों के वरिष्ठ पदाधिकारी पी डी खैरवार, अनीता हरचंदानी , रविकांत गुप्ता , राजकुमार कुशवाह ने सभी अतिथि शिक्षकों की ओर से मुख्यमंत्री जी से आग्रह किया है शीघ्र अतिथि शिक्षकों के हित में अन्य राज्यों की भांति नीति बनाकर भविष्य सुरक्षित करें । आपने सभी वर्गों का भला किया है प्रदेश के पचास हजार अतिथि शिक्षक आपसे आशान्वित हैं। उम्मीद करते हैं आप शीघ्र अतिथि शिक्षकों के साथ भी न्याय करेंगे ।
अन्य राज्यों की नीति
छत्तीसगढ़ सरकार ने नीति बनाई है कि कार्यरत अतिथि शिक्षकों के स्थान पर सीधी भर्ती, पदोन्नति और स्थानांतरण नहीं किया जाएगा। हरियाणा सरकार की नीति के अनुसार 58 वर्ष की आयु तक अतिथि शिक्षक कार्य कर सकेंगे । वर्ष में दो बार 4 प्रतिशत की वेतनव्रद्धि की जाती है। राजस्थान सरकार ने सेवाकाल के अनुसार वेतन निर्धारित किया है। अतिथि शिक्षकों को यथावत रखा है।