लेकर कलम और कागज़,
मैं बैठा हूं अपनी कुर्सी पर,
लिखना चाहता हूं मैं अब,
कुछ नई - नई पंक्तियां।
ख्वाबों के शहर में,
यादों की गलियों में,
मोहब्बत के घर में,
प्यार के कमरे में।
अपनी पुरानी बातों को,
उनकी पुरानी यादों को,
मैं अब सब लिख रहा हूं,
अपने कागज़ के पन्ने पर।
समय जो बिताया था,
साथ में उनके मैने,
समेटकर उन्हें अब मैं,
शब्दों में ढालना चाहता हूं।