जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने दीपक आर्या आईएएस एवं कलेक्टर जिला बालाघाट के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की उच्च अधिकारियों से जांच कराए जाने के निर्देश दिए हैं। इसी के साथ पूर्व विधायक एवं समाजवादी पार्टी के नेता किशोर समरीते की याचिका का निराकरण कर दिया गया।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव की युगलपीठ ने अपने आदेश में साफ किया कि शिकायत पर विचार कर समुचित कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।शिकायत का निराकरण कर इस सिलसिले में याचिकाकर्ता को भी सूचित किया जाए। याचिकाकर्ता समरीते की ओर से अधिवक्ता शिवेंद्र पांडे ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि बालाघाट जिले के कलेक्टर दीपक आर्या ने रेत माफिया, शराब ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाया। बदले में उन्होंने जमकर रिश्वत और गैरकानूनी उपहार लिए। भ्रष्टाचार की कमाई से आर्य ने अपने गृह जिले डिंडौरी में दो करोड़ का मकान बनवाया।
इसकी शिकायत याचिकाकर्ता ने लोकायुक्त से की। कार्रवाई न होने पर 11 सितम्बर, 2020 को समरीते ने भारत सरकार के कैबिनेट सचिव को मामले की शिकायत की। कैबिनेट सचिव ने इसे मप्र सरकार के मुख्य सचिव को अग्रेषित कर कार्रवाई के लिए कहा लेकिन मप्र सरकार ने शिकायत की जांच बालाघाट कलेक्टर को ही सौंप दी। कलेक्टर ने 12 अक्टूबर, 2020 को समरीते को पत्र लिखकर शिकायत के पक्ष में साक्ष्य और दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा। चेतावनी दी गई कि साक्ष्य, दस्तावेज पेश नहीं किए गए तो शिकायत खारिज कर दी जाएगी। अधिवक्ता पांडे ने तर्क दिया कि राज्य सरकार की ओर से कलेक्टर को ही कलेक्टर के खिलाफ शिकायत की जांच सौंपना गलत है।
विधि का सुस्थापित सिद्धांत है कि कोई भी व्यक्ति अपने खिलाफ शिकायत पर जज या जांचकर्ता नहीं हो सकता। सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका निराकृत करते हुए शिकायत की जांच दूसरे उच्चस्तरीय अधिकारी से कराने का निर्देश दिया। लोकायुक्त का पक्ष अधिवक्ता सत्यम अग्रवाल ने रखा।