1984 में दिसंबर के प्रथम सप्ताह की रात देश भले ही भूल गया हो लेकिन भोपाल के निवासी कभी नहीं भूल सकते। उस रात ने जाने कितने ही परिवार को कभी ना भरने वाला घाव दे दिया था। जिसके लिए कौन जिम्मेदार था और किसको सजा हुई यह आज तक नहीं पता?
37 वर्ष होने को आये और इस बीच जाने कितने ही लोग इस कांड को भुनाकर महापौर, विधायक और मंत्री बन गये। सरकार भी चुनाव के वक्त पीड़ितों को एक लॉलीपॉप पकड़ाकर उनके घावों को कुरेदती रहती है।
दिनांक 17/07/2021 को सरकार ने नगर निगम चुनाव से ऐन वक्त पहले ऐसा ही एक लॉलीपॉप पकड़ाया है और मृतकों की विधवाओं को 1000 प्रति माह देने का एलान किया है। सरकार से इतनी तो उम्मीद की जा सकती थी कि वे गरीबी रेखा के नीचे के तयशुदा रुपये को तो पेंशन में रख सकते थे।
खैर सरकार अपने वोटर को लुभाकर फिर फायदा लेना चाहती है और कमजोर विपक्ष अपनी अंदरूनी लड़ाई में व्यस्त है। बाकी जनता के लिए "मन की बात" रविवार को आता ही है।