राजस्थान के करौली जिले में एक मंदिर के पुजारी की जघन्य हत्या तथा हाथरस जिले की तत्काल पूर्व की घटना में हुई एक लड़की की हत्या से उत्पन्न एक दुर्भाग्यपूर्ण परिदृ‛य आज सभ्य समाज को हैरान तथा परे‛ाान करने वाला है । वस्तुतः यें घटनायें दे‛ा में पहली बार नहीं हो रही हैं । जैसा कि साफ दिखाई दे रहा है कि करौली तथा हाथरस दोनों ही जगहों पर विभिन्न विपक्षी राजनीतिक दल न केवल अपनी राजनीति की रोटी सेकनें में लगे हुए हैं बल्कि इनमें संलिप्त दोषी अपराधियों को कानून की पकड़ से बचाने में भी सहयोग कर रहे हैं । ऐसा क्यों है कि इन दलों को मानवीय संवेदनाओं से कोई सरोकार नहीं है, वि‛ोषतया जब कि किसी पीड़ित परिवार ने अपने एक प्रिय स्वजन खो दिया है । क्या इसी को राजनीति कहतें हैं ?
यद्यपि हाथरस कांड की सच्चाई तो अभी पूरी प्रकट नहीं हुई है लेकिन एक विध्वंसक षडयंत्र का खुलासा जरूर हो गया है जिसका उद्दे‛य, जैसा इलेक्ट्रानिक मीडिया में बताया गया, संपूर्ण दे‛ा में एक बार फिर गत वर्ष के अंत तथा इस वर्ष के प्रारंभ में हुये सी0ए0ए0 एवं एन0 आर0 सी0 विरोधी दंगो की भांति हिंसा एवं रक्तपात को भड़काना तथा समाज में अस्थिरता पैदा करना था । एक बहुत सोची समझी योजना के अंर्तगत दे‛ा में सक्रिय राष्ट्रविरोधी ॉाक्तियों, जिन्हें मीडिया द्वारा टुकड़े-टुकड़े गैंग का नाम दिया गया है तथा जिनको दे‛ा के कुछ राजनीतिक दलों का वरदहस्त प्राप्त है, ने दिवंगत हाथरस पीड़िता के परिजनों को न्याय दिलाने के नाम पर एक दीर्घकालीन आंदोलन चलाने का व्यापक कुचक्र तैयार किया था । ऐसे षडयंत्र को सफल तरीके से क्रियान्वित करने के लिए इसे गैंग ने अपने दे‛ा तथा विदे‛ा में बैठे आकाओं के सहयोग से कई तैयारियाॅं की थीं जिसमें रातों रात वेबसाइट तैयार कर अनेक लिंकों के माध्यम से सभी संभावित दंगाईयों को एकजुट करना तथा दे‛ा के सभी प्रमुख स्थानों पर व्यापक दंगा, हिंसा तथा रक्तपात करवाना एवं इस कांड का अंर्तराष्टयकरण करके दे‛ा को वि‛व के म्ंाच पर बदनाम करना भी था ा
जिस तरीके से एकाएक संकीर्ण मानसिकता वाले कुछ राजनीतिक दल तथा उनका समर्थन प्राप्त अनेक षडयंत्रकारी संगठन एकजुट होकर केवल उत्तर प्रदे‛ा सरकार को घेरने तथा अस्थिर करने के लिए रातदिन एक किये हुये थे, उसका उददे‛य दिवंगत पीड़िता के परिवार को न्याय दिलाना या बलात्कार जैसी जघन्य को रोकना नहीं बल्कि अपने अधर में लटके राजनीतिक भविष्य की रक्षा करना था । इन दे‛ा विरोधी कार्यों के लिए धन एवं अन्यान्य सहायता विदे‛ाी ताकतों द्वारा उपलब्ध भी कराई गई थी जो भारत की उभरती ताकत और साफ सुथरी छवि से बेहत आहत हैं । वि‛ोषतया विगत कई द‛ाकों से लंबित दे‛ा की कुछ जटिल समस्याऐं यथा तीन तलाक का मुददा, जम्मू एवं का‛मीर का वि‛ोष दर्जा, तथा राम जन्म भूमि विवाद को जिस दृृढ़ इच्छा‛ाक्ति एवं साहस का परिचय देते हुए दे‛ा के ॉाासक-राजनीतिक दल तथा सर्वोच्च न्यायपालिका ने सुलझाया, उससे इन सभी दे‛ा विरोधी ॉाक्तियों को उचित जवाब मिल चुका है । अतः वे सब एकजुठ होकर केंद्र एवं उŸार प्रदे‛ा सरकार तथा भाजप ॉाासित अन्य प्रदे‛ाों की सरकारों को भी येन केन प्रकारेण उखाड़ फंेकना चाहते हैें ।
दे‛ा के य‛ास्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कु‛ाल नेतृत्व में भारत ॉाांतिपूर्ण तरीके से जिस तरह तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है उससे संपूर्ण वि‛व अचंभित है परंतु इन राष्ट्रविरोधी ॉाक्तियों को अच्छा नहीं लग रहा है । वि‛व के सभी प्रमुख राष्ट्राध्यक्ष या ॉाासनाध्यक्ष यथा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एवं फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रान तथा आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्काॅट माॅरिसन, इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू एवं बिट्रेन के प्रधानमंत्री बोरिस जाॅन्सन आदि सभी प्रमुख नेतागण प्रधानमंत्री मोदी की कार्य‛ौली से अत्यंत प्रभावित हैं ा यह प्रधानमंत्री मोदी की वि‛व में बढ़ती हुई लोकप्रियता की स्वीकारोक्ति ही है कि अनेक प्रमुख दे‛ा उन्हें अपने-अपने सर्वोच्च राजकीय सम्मान से सम्मानित कर चुके हैं । वर्तमान कोरोना की वि‛वव्यापी महामारी के दौर में दे‛ा के प्रधानमंत्री ने जिस सूझ-बूझ का परिचय देते हुए सभी दे‛ावासियों की सुरक्षा एवं उनके जीवन की मूलभूत आव‛यकताओं की पूर्ति हेतु सारे व्यापक उपाय किए उसकी न केवल दे‛ा में बल्कि वि‛व स्वास्थ्य संगठन जैसी वै‛िवक संस्था तथा विभिन्न दे‛ाों द्वारा कई प्रमुख मंचों पर भूरि-भूरि प्र‛ांसा की गई ।
कोविड-19 के कठिन दौर में भी जब पड़ोसी दे‛ा चीन ने अत्यंत ॉार्मनाक वि‛वासघात करते हुए भारत-चीन सीमा, (एल0 ए0 सी0) पर दे‛ा में अनेक स्थानों पर घुसपैठ करने की को‛िा‛ा की, जो एल0 ए0 सी0 पर लददाख तथा कुछ अन्य क्षेत्रों में अभी भी चल रही है, उसका सभी आव‛यक सैन्य तथा अन्य जरूरी तैयारियों के साथ अत्यंत साहसपूर्वक ढ़ंग से सामना करते हुए भारतीय सेना प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बीजिंग को जिस तरह से मुॅंहतोड़ जवाब दे रही है उससे चीन बेहद परे‛ाान हो चुका है तथा उसके कारण चीनी राष्ट्रपति ॉाी जिनपिंग को न केवल वि‛व में बल्कि अपने दे‛ा में भी विरोध का सामना करन पड़ रहा है । समग्रतः भारत की तेजी से स्थापित होती जा रही स‛ाक्त पहचान दे‛ाविरोधी ताकतों के लिए एक बहुत बड़ी परे‛ाानी का कारण बन चुकी है । अतः येे सब केवल मौके की तला‛ा में रहतें हैं कि कैसे भारत को एक बार पुनः अस्थिर तथा विखंडित किया जाए ।
निसंदेह हाथरस कांड ने इन राष्ट्रविरोधी ॉाक्तियों को एक उपयुक्त अवसर दिया है । यद्यपि इस घटना में अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि दिवंगत पीड़िता के साथ कोई ज्यादती हुई भी थी या नहीं या उसे किसने और क्यों मारा । परंतु इस टुकड़े-टुकड़े गैंग ने बिना किसी प्रमाण के ॉाीलहरण का ॉाोर मचाते हुए प्रदे‛ा सरकार के खिलाफ धरना प्रर्द‛ान आदि ॉाुरू कर दिया । ऐसे मामलों में इस गैंग की भेदभाव पूर्ण दृष्टि साफ दिखाई पड़ती है । हाथरस कांड के आसपास ही हुये प्रदे‛ा के एक अन्य जिले बलरामपुर में एक समुदाय वि‛ोष के कुछ लोगों ने काॅलेज से लौट रही एक छात्रा को अगवा कर उसका सामूहिक ॉाीलहरण किया और उस निसहाय की अंततः मृत्यु भी हो गयी परंतु तब ये लोग मौन साधे रहे । विगत कुछ महीनों में राजस्थान और अन्य राज्यों के अन्दर भी ॉाीलहरण के अनेक मामजे दर्ज हुए हैं जिनमें संलिप्त अपराधी इसी समुदाय के बताए जाते हैं । तब भी इस गैंग तथा इनके समर्थक राजनीतिक दलों ने मौन साध लिया था ।
यद्यपि राजनीतिक दल भी समाज से ही आते हैं और उनमें कार्यरत सदस्य भी आम इंसानों की भांति़ हाड़-मांस के पुतले हैं । अतः उनका मानवीय संवेदनाओं से ॉाून्य होना कैसे संभव है । परंतु यह बड़े दुर्भाग्य का विषय है कि आज दे‛ा में सक्रिय कुछ राजनीतिक दल हत्या या ॉाील हरण जैसे घिनौने कुकर्म को भी केवल अपने वोट बैंक की निगाह से जोड़ते-गांठते हुए दिखाई देते हैं । जैसा मीडिया रिपोर्टस से पता चल रहा है कि उन्हें न तो मृतक से कोई हमदर्दी है न ही उसके परिवार के दुख-दर्द से कोई मतलब है और न ही ऐसी घटनाओं की निरन्तर पुनरावृत्ति को तत्काल रोकना ही उनका उद्दे‛य हैे । बल्कि इनके विपरीत कार्यरत सरकारों को अकर्मण्य साबित करना ही उनका एक मात्र लक्ष्य दिखाई पड़ता है । इन कारणों से आज का सभ्य एवं सुस्ंकत समझा जाने वाला भारतीय समाज तथा संवेदन‛ाील, उत्तरदायी एवं जिम्मेदार प्रजातांत्रिक राज्य अपना वास्तविक अर्थ ही खो बैठे हंै ।
विगत कई वर्षों से यह साफ दिखाई दे रहा है कि दे‛ा या विभिन्न प्रदे‛ाों में विपक्षी राजनीतिक दलों का एकमात्र लक्ष्य सरकार का केवल विरोध करना ही रहता है भले ही सरकार चाहे कितना ही अच्छा काम क्यों न कर रही हो । निसंदेह यह ॉाासन की जिम्मेदारी है कि वह अपराध पर कठोरतापूर्वक नकेल कसे तथा प्रत्येक व्यक्ति के जानमाल तथा संपत्ति की सुरक्षा अव‛य सुनि‛िचत करे । परंतु भारत जैसे वि‛ााल जनसंख्या एवं क्षेत्रफल वाले दे‛ा तथा उत्तर प्रदे‛ा या राजस्थान जैसे बडे़ प्रदे‛ाों में केवल सरकार, चाहे वह जिस राजनीतिक दल की हो, इस कार्य को अकेले नहीं कर सकती । तथापि ऐसे महत्वपूर्ण कार्य केे क्रियान्वयन में सरकारों का ईमानदारी भरा प्रयास अव‛य दिखना भी चाहिए जो आजकल सभी राज्यों में सामान्य रूप से नहीं दिखता है । इस अत्यंत महत्वपूर्ण एवं अतिआव‛यक कार्य में सभी राजनीतिक दलों के साथ दे‛ा के प्रत्येक नागरिक का पूर्ण सहयोेग एवं निष्ठा अपेक्षित है जिसका यहांॅं आज भी अभाव है, अन्यथा इस प्रकार से अपराधों की बाढ़ न आ जाती ।
आज संपूर्ण भारत यह जानता है कि लगभग सभी राजनीतिक दल अपराधियों को न केवल संरक्षण देते हैं बल्कि उनका निर्वाचन में अपनी विजय सुनि‛िचत करने हेतु खुलेआम प्रयोग भी करते हैं । अतः राजनीति का अपराधीकरण, अपराधियों का राजनीतिकरण तथा संगठित अपराध आज दे‛ा तथा प्रदे‛ा की राजनीति में एक दुखद सच्चाई बन चुका है । नतीजा स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहा है कि दे‛ा की संसद तथा राज्य की विधानसभाओं में अनेकों माननीय सांसद तथा विधानसभा सदस्य दागी हैं और उनके ऊपर संगीन आपराधिक मुकदमे भी कायम हैं । ऐसी द‛ाा में राजनीतिक दलों के दोहरे चरित्र के कारण ही इस प्रकार की जघन्य आपराधिक घटनाओं की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है और समाज में अ‛ाांति और असुरक्षा बढ़ती जा रही है । ऐसी बढ़ती हुई आपराधिक घटनाओं से चिंतित होकर दे‛ा के निर्वाचन आयोग द्वारा कुछ वर्ष पूर्व ही सभी राजनीतिक दलों को अपराध में लिप्त उम्मीदवारों को टिकट ने देने की एक स्पष्ट एडवाइजरी जारी की गयी थी परंतु उसका खुल्लम खुल्ला उल्लंघन सभी राजनीतिक दल अद्यतन कर रहे हैं।
अतः ऐसे भयावह एवं अपसंस्कृति को बढ़ाने वाले परिदृ‛य में दे‛ा के समस्त विवेकवान, कर्तव्य परायण एवं जिम्मेदार जनता को ऐसे राजनीतिक दलों के राष्ट्रविरोधी कुकृत्यों को समझना चाहिये तथा उनका पुरजोर विरोध भी करना चाहिये क्योंकि ऐसे राजनीतिक दलों का लक्ष्य दे‛ा या समाज का हित नहीं है बल्कि अपने निहित तुच्छ स्वार्थों का पोषण करना मात्र ही है । अतः दे‛ा की जनता अर्थात हम भारत के लोग को जाति, धर्म, भाषा, समुदाय, क्षेत्र आदि जैसे संकीर्ण विचारों से ऊपर उठना चाहिए तथा दे‛ा एवं समाज के हित में पूरी ईमानदारी एवं लगन के साथ काम करते हुए ऐसे दोहरे चरित्र वाले राजनीतिक दलों को और ऐसे दागी नेताओं को अलग-थलग अव‛य करना चाहिये जिससे दे‛ा तथा राष्ट्रहित और मानव संस्कृति की रक्षा हो सके तथा समाज में ॉाांति एवं सुरक्षा की स्थापना भी की जा सके । वि‛ोष रूप से नारी जाति के सम्मान की रक्षा अव‛य होनी चाहिए, जैसा प्राचीन भारतीय ॉाास्त्रों में उल्लिखित है -
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।
यत्र नार्यस्तु पीड्यन्ते तत्र सर्वाऽफलाः क्रियाः ।।
ऐसा हो सकता है क्योंकि मानव उद्यम से परे कुछ नहीे होता है ।
प्रो0 सुधां‛ाु त्रिपाठी
उ0 प्र0्र राजर्षि टण्डन मुक्त वि‛वविद्यालय,
प्रयागराज, उ0प्र0 ।