नई दिल्ली। यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (हिंदी:संघ लोक सेवा आयोग, अंग्रेजी: UNION PUBLIC SERVICE COMMISSION) द्वारा प्रक्रियाधीन सिविल सेवा परीक्षा को स्थगित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने भारत सरकार और संघ लोक सेवा आयोग को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया है। जवाब प्रस्तुत करने के लिए 28 सितंबर 2020 की तारीख सुनिश्चित की गई है।
20 उम्मीदवारों ने याचिका दाखिल की है, 700000 उम्मीदवार परीक्षा देंगे
जस्टिस एएम खानविलकर और संजीव खन्ना की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए यूपीएससी और केंद्र को यह नोटिस जारी किया और मामले की सुनवाई की अगली तारीख 28 सितंबर तय की। याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि बाढ़, बारिश को कोविड-19 की स्थिति को देखते हुए सिविल सेवा परीक्षा को दो से तीन महीने के लिए टाला जाए।
यह याचिका 20 यूपीएससी अभ्यर्थियों ने अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव के माध्यम से दायर की है। याचिका के अनुसार सात घंटे लंबी इस ऑफलाइन परीक्षा में देशभर के करीब सात लाख अभ्यर्थी भाग लेंगे। इस परीक्षा के लिए देशभर में कम से कम 72 केंद्र बनाए गए हैं।
याचिका में कहा गया है कि सिविल सेवाओं में भर्ती के लिए आयोजित होने वाली यह परीक्षा शैक्षणिक परीक्षा से अलग है। अगर इसे कुछ समय के लिए स्थगित किया जाता है तो इससे किसी प्रकार के शैक्षणिक सत्र में विलंब होने जैसा सवाल नहीं उठता है।
यूपीएससी ने सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2020 के लिए एडमिट कार्ड पहले ही जारी कर दिए हैं। कोविड-19 के कारण यूपीएससी ने पहले जून में होने वाली सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा का शेड्यूल भी बदला था। नए शेड्यूल के अनुसार यह परीक्षा चार अक्तूबर 2020 को आयोजित की जाएगी।
यूपीएससी अभ्यर्थी इसे लेकर कह रहे हैं कि यह कोई अकादमिक परीक्षा नहीं बल्कि भर्ती परीक्षा है, इसे रोका जा सकता है। अभी तक जेईई और नीट परीक्षा के आयोजन को स्थगित करने की मांग की जा रही थी। हालांकि, ये परीक्षाएं स्थगित नहीं हुईं। ऐसे में सिविल सेवा परीक्षा के भी स्थगित होने के आसार कम ही हैं।
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