शिवपुरी। शिवपुरी के युवा और प्रतिभाशाली अभिभाषक निपुण सक्सैना ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक वयोवृद्ध महिला के संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में चीफ जस्टिस बोबड़े की खंडपीठ के समक्ष एक याचिका दायर की है। अभिभाषक सक्सैना के अनुसार उक्त याचिका स्वीकार कर ली गई है और जल्द ही उस पर सुनवाई की जाएगी।
महिला की उम्र को देखते हुए तीन वर्ष के लॉ कोर्स में उनके प्रवेश को बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सरकुलर का हवाला देते हुए रोक दिया गया है। जिससे व्यथित होकर महिला राजकुमारी ने याचिका अभिभाषक के माध्यम से दायर की है।
अभिभाषक सक्सैना के अनुसार याचिकाकर्ता राजकुमारी त्यागी उत्तरप्रदेश की साहिबाबाद की रहने वाली हैं। उनके पति की मौत हो चुकी है और उनकी बसीयत तथा सम्पत्ति संबंधी विवाद न्यायालय में चल रहे हैें। जिनकी पैरवी खुद वह अभिभाषक के रूप में न्यायालय में करना चाहती है। इसलिए उक्त महिला राजकुमारी ने एलएलबी के तीन वर्षीय कोर्स के लिए कॉलेज में प्रवेश हेतु आवेदन दिया।
लेकिन कॉलेज प्रशासन ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के 17 सितंबर 2016 के सरकुलर नम्बर 6 और क्लाउज 28 का हवाला देते हुए उसे प्रवेश देने से मना कर दिया। महिला का कहना है कि कानून की पढ़ाई करना उसका संवैधानिक अधिकार है और इस अधिकार का संरक्षण भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उसे प्रदत है।
उसका तर्क है कि जब किसी भी उम्र का व्यक्ति न्यायालय में अभिभाषक के रूप में पैरवी कर सकता है तो उम्र के आधार पर उसे कानून की शिक्षा लेने से कैसे वंचित किया जा सकता है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सरकुलर के अनुसार लॉ के तीन वर्षीय कोर्स में 30 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति को प्रवेश नहीं दिया जाए।
अभिभाषक सक्सैना ने बताया कि उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायक की है। उनके अनुसार याचिकाकर्ता को कॉलेज प्रशासन ने बार काउंसिल के सरकुलर के आधार पर प्रवेश न देेकर उसके भारतीय संविधान द्वारा प्रदत अनुच्छेद 14, 19 और 21 का हनन किया है।
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