भोपाल। मध्य प्रदेश की राजनीति में पहली बार पार्टियों के बीच नई तरह की लड़ाई शुरू हुई है। ग्वालियर में कांग्रेस नेताओं ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के कार्यक्रम में उपद्रव मचाया था। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता कांग्रेस नेताओं, पूर्व मंत्रियों और विधायकों की गांव गांव में घेराबंदी कर रहे हैं। हरदा जिले में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव, पूर्व कैबिनेट मंत्री जीतू पटवारी और विधायक कुणाल चौधरी हो भाजपाइयों ने घेर लिया। हालात इतने तनावपूर्ण हुए की सुरक्षाकर्मियों को दखल देकर कांग्रेसी नेताओं को भीड़ से बचाकर निकालना पड़ा।
हरदा में अरुण यादव और जीतू पटवारी के साथ क्या हुआ
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष श्री अरुण यादव और पूर्व मंत्री श्री जीतू पटवारी अपने साथी विधायक कुणाल चौधरी के साथ हरदा जिले के अतरसमा गांव में गए थे। यहां एक किसान लक्ष्मी नारायण जाट ने आत्महत्या कर ली थी। कांग्रेस नेताओं के गांव में पहुंचते ही भाजपा नेताओं ने उन्हें चारों तरफ से घेर लिया। किसान की मौत पर राजनीति का आरोप लगाते हुए नारेबाजी करने लगे। इसी बीच कांग्रेस नेताओं के दल से किसी ने भाजपाइयों का नेतृत्व कर रहे एक नेता को शराब के नशे में धुत बता दिया। बस फिर क्या था, चिंगारी भड़क गई। तनातनी शुरू हो गई और हाथापाई की नौबत आ गई। सुरक्षाकर्मियों ने सूझबूझ का परिचय देते हुए, सायरन बजाकर भीड़ को तितर-बितर किया और कांग्रेस नेताओं को सुरक्षित बाहर निकाला।
राजनीति में गैंगवार मध्यप्रदेश की परंपरा नहीं है
यहां बताना जरूरी है कि इस तरह की राजनीतिक लड़ाई, मध्य प्रदेश की परंपरा नहीं है। कांग्रेस पार्टी ने ग्वालियर में जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी के कार्यक्रम में उपद्रव मचाया और उसके बाद भाजपा के लोग जिस तरह से प्रतिक्रियाएं कर रहे हैं। दोनों ही मध्य प्रदेश के राजनीतिक स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है। अब से पहले तक नेताओं का विरोध आम जनता द्वारा किया जाता रहा परंतु पहली बार पार्टियों की तरफ से योजनाबद्ध तरीके से तनावपूर्ण स्थिति या निर्मित की जा रही है।
22 सितम्बर को सबसे ज्यादा पढ़े जा रहे समाचार
from Bhopal Samachar | No 1 hindi news portal of central india (madhya pradesh) https://ift.tt/3kFjxDw