भारत में सरकारी या प्राइवेट नौकरी करने वाले कर्मचारियों के लिए सरकार की तरफ से एंप्लॉयी प्रोविडेंट फंड (Employees Provident Fund- EPF) बचत योजना का संचालन किया जाता है। यह योजना ना केवल सबसे सुरक्षित है बल्कि इसमें सबसे ज्यादा ब्याज भी मिलता है। इस योजना के तहत जमा की गई रकम रिटायरमेंट के बाद व्यास सहित प्राप्त होती है। इसके अलावा यदि कर्मचारी को जरूरत हो तो रिटायरमेंट से पहले भी जमा धन की निकासी कर सकता है। ऐसी प्राइवेट कंपनियां जहां कर्मचारियों की संख्या 20 से अधिक है कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के नियमानुसार कर्मचारियों का प्रोविडेंट फंड जमा कराना अनिवार्य है।
कर्मचारी भविष्य निधि के तहत बेसिक सैलरी और DA की 12% राशि जमा होती है। ठीक उतनी ही राशि नियोक्ता कंपनी अपनी तरफ से कर्मचारी के PF अकाउंट में जमा करती है। नए नियम के मुताबिक, एंप्लॉयी अगर चाहें तो अपने हिस्से की 12% राशि की जगह पर 10% रकम PF अकाउंट में जमा करा सकते हैं, ताकि उसकी इनहैंड सैलरी की रकम बढ़ जाए। EPF में अभी 8.50% की दर से सालाना ब्याज मिल रहा है। ब्याज दरों में हर साल केंद्र सरकार बदलाव करती रहती है।
वेतन में से PF कटवाने पर कर्मचारी को क्या फायदा होता है
PF अकाउंट में Employees की बेसिक सैलरी और डीए की 12% राशि जमा होती है। ठीक उतनी ही राशि नियोक्ता कंपनी भी अपनी तरफ से कर्मचारियों के PF अकाउंट में जमा करती है। कंपनी की ओर से जमा की गई बेसिक सैलरी की 12% राशि में से 8.33% राशि कर्मचारियों के पेंशन स्कीम (Employees Pension Scheme- EPS) में जमा होती है। पेंशन पाने के लिए एम्प्लॉई का पीएफ अकाउंट 10 साल तक ऐक्टिव रहना जरूरी है। वहीं 3.67% राशि ही EPF अकाउंट में जमा होती है। कंपनी की ओर से जमा राशि में से 0.50% अमाउंट इंश्योरेंस स्कीम (Employees Deposit-linked Insurance Scheme) में जमा होता है और 0.50% अमाउंट प्रशासनिक शुल्क (administrative charges) के रूप में कट जाता है। EPF अकाउंट के तहत हर महीने अधिकतम 1250 रुपये EPS के रूप में जमा होता है। कर्मचारी चाहें तो अपनी मर्जी से EPF अकाउंट में अधिक पैसे जमा कर सकते हैं।
EPF अकाउंट का बैलेंस कैसे कैलकुलेट करें
मान लीजिए कि आपकी बेसिक सैलेरी और DA (Basic salary+DA) मिलाकर 20,000 रुपये है। इस राशि के हिसाब से आपका EPF में योगदान 2400 रुपये होगा और इतनी ही राशि आपकी नियोक्ता कंपनी भी जमा करेगी। लेकिन EPF अकाउंट में कंपनी का योगदान बेसिक सैलरी का 3.67% यानी 734 रुपये ही होगा। कंपनी की तरफ जमा राशि में से 8.33% EPS में जमा होगा। यानी 1666 रुपये EPS अकाउंट में जमा होंगे। लेकिन EPS में 1250 रुपये से अधिक जमा नहीं हो सकते। इसलिए 1666-1250= 416 रुपये भी EPF अकाउंट में जमा होंगे। यानी कंपनी का तरफ से आपके EPF अकाउंट में 734+416= 1150 रुपये जमा होंगे। इस तरह एक महीने में आपके EPF अकाउंट में 2400+1150= 3550 रुपये जमा होंगे।
How to calculate interest rate of EPF account in Hindi
EPF ब्याज की गणना हर महीने की जाती है, लेकिन कर्मचारियों के खाते में यह रकम वित्तीय वर्ष के अंत में ही जमा की जाती है। Interest का कैलकुलेशन हरेक महीने के ओपनिंग बैलेंस पर किया जाता है। लेकिन कर्मचारियों के पहले महीने का ओपनिंग बैलेंस जीरो होता है इसलिए Interest का गणना दूसरे महीने से शुरू होती है। मान लीजिए अप्रैल में आपके ईपीएफ खाते में जमा हुए 3550 रुपये, लेकिन आपको इस पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा, क्योंकि सैलरी अप्रैल के अंतिम दिनों में आएगी।
इसके बाद मई में आपको EPF अकाउंट में फिर से 3550 रुपये जमा होंगे अकाउंट में कुल 7100 रुपये जमा हो गए। इस समय EPF पर 8.5% Interest मिल रहा है। अब आपको मिलने वाले 8.5% Interest को 12 से भाग देना होगा, क्योंकि कर्मचारियों को 12 महीने का ब्याज एक साथ मिलता है। यानी आपको हर महीने 0.70% interest मिलेगा। इस लिहाज से 7100 रुपये पर आपको करीब 50 रुपये ब्याज मिलेगा। इस तरह EPF अमाउंट पर मिलने वाले interst की गणना की जाती है।
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