भोपाल। नगर पालिका बड़नगर के मुख्य मुख्य नगरपालिका अधिकारी कुलदीप किंशुक के यहां लोकायुक्त की छापामार कार्रवाई के बाद कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। सबसे बड़ा सवाल यह उपस्थित हुआ है कि कुलदीप किंशुक की नियुक्ति तृतीय श्रेणी कर्मचारी के रूप में हुई थी। फिर वह द्वितीय श्रेणी का अधिकारी कैसे बन गया। इस सवाल का जवाब इंदौर कमिश्नर आनंद शर्मा के पास भी नहीं है। राजनैतिक रसूख का असर देखिए कि पत्रकारों के पूछने पर कमिश्नर आनंद शर्मा ने सिर्फ इतना कहा कि 'इस बारे में मुझसे मत पूछो।
लोकायुक्त की जांच में पता चला CMO ही ठेकेदार है
लोकायुक्त की टीम सीएमओ कुलदीप के करोड़पति बनने की जांच में 14 घंटे से अधिक समय तक जुटी, तब जाकर पता चला कि वह खुद ही सीएमओ व ठेकेदार भी है। दस्तावेजों में विनायक ट्रेडिंग कंपनी के दस्तावेज खंगाले तो पता चला कि उसने दोस्त मुकेश परमार के नाम पर कंपनी बनाई है लेकिन बैंक पासबुक व चेक में कुलदीप का ही नाम है। विनायक ट्रेडिंग के नाम से पांच लाख का कैंसिल चेक भी जब्त किया जिसमें कुलदीप के साइन है। लोकायुक्त निरीक्षक बसंत श्रीवास्तव ने बताया कि ऐसी कई फर्म दोस्त, परिचित व रिश्तेदारों के नाम पर मिली है। इंदौर के बारोली में स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा में सात खाते पता चले है।
काली कमाई वाले सीएमओ का दिग्विजय सिंह के राधौगढ़ से कनेक्शन
कुलदीप का ससुराल गुना में है। उसके ससुर राघोगढ़ के नेताजी से जुड़े हुए हैं। ससुर का कोयले का कोराबार है, इसलिए कुलदीप को राजनीतिक पहुंच का फायदा मिल रहा। प्रभारी सीएमओ के पद पर वह सालों से काबिज है। बड़नगर नगर पालिका में सीएमओ बनाए जाने को लेकर यह बात भी सामने आई कि उसे विधायक मुरली मोरवाल ले गए थे। कुलदीप उनका रिश्तेदार है। हालांकि माेरवाल का कहना था कि सीएमओ मेरे समाज का है लेकिन मेरा रिश्तेदार नहीं है और न मैंने पोस्टिंग कराई है। वह पहले आलोट में इसी पद पर था।
लोकायुक्त जांच में बड़ा खुलासा: भ्रष्ट अधिकारियों ने सिंडिकेट बना लिया है
लोकायुक्त के छापे के पूर्व सोमवार रात को शाजापुर पोलायकला सीएमओ वीरेंद्र मेहता व महिदपुर सीएमओ प्रदीप शास्त्री ने कुलदीप के माकड़ौन स्थित घर पर शराब पार्टी की। इसमें सीएमओ कुलदीप का दोस्त मुकेश परमार भी शामिल था। सुबह छापे के बाद दोस्त व दोनों सीएमओ तत्काल निकल गए लेकिन उन पर भी निलंबन की गाज गिर गई। लोकायुक्त को जांच में यह भी चौंकाने वाली जानकारी हाथ लगी कि कुलदीप के करोड़पति बनने के पीछे एक बड़ी चेन है। अन्य नगर पालिका व नगर परिषद के सीएमओ भी कुलदीप से जुड़े हुए है। आपसी सांठगाठ के चलते वे आपस में सप्लाय व निर्माण के काम भी खुद ही अपने बनाई फर्मों से करवाते है। लोकायुक्त टीम इस दिशा में भी जुट गई है। अन्य कई सीएमओ भी फसेंगे।
मोटे ब्याज पर कर्ज देकर लोगों की संपत्ति हड़प लेता था
लोकायुक्त पुलिस को जांच में यह पता चला है कि कुलदीप ब्याज पर भी पैसा चलाता है। जो लोग ब्याज में फंस जाते है उनकी जमीन भी खरीदने का पता चला है जिसकी जांच की जा रही है। बुधवार को शेष 40 बैंक खाते समेत अन्य बिंदुओं पर जांच होगी। संभावना है कि दो करोड़ के लगभग की संपत्ति और उजागर हो सकती है।
नगर निगम भी अवैध निर्माण तोड़ नहीं पाया
बताते हैं कि विवेकानंद कॉलोनी में वह चार मंजिला हॉस्टल बनवा रहा है। जिसमें G+2 की अनुमति लेकर G+4 तक निर्माण कर लिया। नगर निगम की टीम पिछले साल पड़ोसी की शिकायत पर निर्माण तोड़ने गई थी लेकिन बताते है कि बैरंग लौटना पड़ा था।
लोकायुक्त इंस्पेक्टर राजेंद्र वर्मा किसान बनके जांच करने गए थे
लोकायुक्त निरीक्षक राजेंद्र वर्मा का कहना था कि उनके कार्यकाल का यह पहला छापा है। जिसके लिए गोपनीय शिकायत के बाद दो महीने से तैयारी की जा रही थी। तीन दिन पूर्व ग्रामीण बन बड़नगर में सीएमओ कुलदीप से मिलने के बहाने पहुंचा था लेकिन उसके ड्राइवर ने मुझे यह कहते हुए भगा दिया कि साहब हर किसी से नहीं मिलते है, बाद में आना। इस तरह बड़नगर, माकड़ौन, तराना, आलोट तक जानकारी जुटाने के बाद एकसाथ कार्रवाई की गई। इधर, वर्मा ने बताया कई ऐसे दस्तावेज मिले है।
सीएमओ की माने लोकायुक्त इंस्पेक्टर को धमकी दी थी
लॉकडाउन के बाद कुलदीप ने उज्जैन में रेलवे स्टेशन के सामने प्लॉट खरीदा जिस पर होटल का निर्माण करवा रहा है। ऐसी कई जगह उसने जमीन खरीदकर काली कमाई निवेश की है। कुलदीप की बीमा एजेंट मां अनिता का कहना था कि आपकी इस कार्रवाई से क्या समझते है मेरे बेटे का रूतबा कम हो जाएगा। निरीक्षक वर्मा ने कहा कि रूतबा कम होगा या नहीं लेकिन उसकी नौकरी बच जाए यही बहुत है।
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