इंदौर। अनलॉक इंदौर और रक्षाबंधन की धूम के बीच इंदौर को झूमने के लिए एक और कारण मिल गया है। इंदौर का बेटा प्रदीप सिंह UPSC (यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन/ संघ लोक सेवा आयोग) के सिविल सर्विस एग्जाम-2019 में ऑल इंडिया 26वी रैंक पर है। मध्यप्रदेश के प्रतियोगियों में प्रदीप सिंह नंबर वन पर है। गौरव की बात यह है कि प्रदीप सिंह के पिता इंदौर में एक पेट्रोल पंप पर कर्मचारी थे और प्रदीप सिंह की सफलता का कारण उनके पिता का ईमानदारी से नौकरी करने का तरीका है। एक अदने से कर्मचारी की ईमानदारी कहां और कितना प्रभाव छोड़ सकती है, प्रदीप सिंह आईएएस की सफलता इसका सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण है।
ग्रेजुएशन के साथ कॉन्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी कैसे की
लसूड़िया क्षेत्र में इंडस सैटेलाइट में रहने वाले प्रदीप सिंह के पिता पेट्रोल पंप पर जॉब करते थे। कई माह पहले उनकी नौकरी छूट गई थी। देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के IIPS से बीकॉम ऑनर्स की पढ़ाई के दौरान ही प्रदीप रात में जाग कर 8-8 घंटे यूपीएससी की तैयारी करते थे। श्री प्रदीप सिंह दिन के 24 घंटों में से 18 घंटे पढ़ाई को देते थे।
टूटने के बाद भी जीतने की लड़ाई लड़ने की प्रेरणा कहां से मिली
पिछली बार 93वीं रैंक होने के कारण आईएएस बनने से चूके प्रदीप कहते हैं- बहुत तनाव में था, लेकिन कभी बैडमिंटन खेलकर उसे दूर किया तो कभी कोई पसंदीदा मूवी देखकर। अंतिम समय में तो उसी तनाव को जुनून बना लिया। वह दिन याद किया जब पिता को नौकरी पर हमेशा जरूरत से ज्यादा मेहनत करते देखता था। आखिर आज आईएएस बनने का सपना पूरा हुआ।
MORAL of THE STORY
मोरल ऑफ द स्टोरी यह है कि ईमानदारी और कठिन परिश्रम सहित अपनी अच्छी आदतों के तत्काल प्रतिफल की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि सारी जिंदगी कोई आपका शोषण करता रहता है परंतु एक दिन समाज आपको सबसे सफल बेटे के पिता के रूप में नमस्कार करता है। याद रखिए, आपके इष्ट देव हमेशा आपके हित के लिए प्रतिबद्ध रहते हैं परंतु वही निर्धारित करते हैं कि आपके परिश्रम का प्रतिफल किस तरह से आपको देना है।
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