प्रदेश का पहला मामला: पति की मौत के बाद HIV संक्रमित बहू को घर में रखने तैयार नहीं थे ससुरालीजन, 6 लाख दिलाए

शिवपुरी। आज प्रदेश का पहला ऐसा मामला प्रकाश में आया है जिसमें एआईवी संक्रमित पति की मौत के बाद घर में उसकी संक्रमित पत्नि को नहीं रखने बाले ससुरालजनों से परिवार परामर्श ने 6 लाख रूपए की आर्थिक क्षतिपूर्ति दिलाई है। एचआईवी संक्रमित पति की विधवा संक्रमित पत्नी को अंततः दो साल बाद न्याय मिल ही गया।

विधवा पत्नी का आरोप था कि 2 साल पहले पति की मौत के बाद ससुराली जन उसे एड्स संक्रमित होने से छुआछूत जैसा व्यवहार कर मानसिक प्रताड़ना देते थे। वह नहीं चाहते थे कि में अब अपने दो बच्चों के साथ ससुराल में रहूं । इससे तंग आकर उसने फिजीकल थाने में आवेदन दिया था।

जहां से मामला परिवार परामर्श केंद्र पहुंचा। यहां आपसी समझौते के बाद परिवार की संपत्ति के हिस्से कर 6 लाख की राशि महिला को दी। अब पीड़ित महिला अपने माता- पिता के साथ मायके में रहकर नाबालिग बच्चों का लालन-पालन करेगी। दरअसल कुछ समय पहले पीड़ित विधवा महिला ने शिकायती आवेदन में एसपी को बताया था कि उसके पति की एचआईवी संक्रमण के कारण 2 साल पहले मृत्यु हो चुकी है।

उसके बाद से उसके ससुरालीजन उसे और उसके दोनों नाबालिग बच्चों को न केवल मारपीट कर प्रताड़ित करते हैं बल्कि मानसिक रूप से भी प्रताड़ना देकर घर से बाहर निकालना चाहते हैं। वह एड्स संक्रमित का ताना देते हैं महिला ने यह आवेदन पूर्व में फिजिकल पुलिस थाने में 17 मई और 31 मई को दिया जिस पर अदम चेक की कायमी की गई।

मगर इनका पारिवारिक विवाद बढ़ता चला गया। एसपी राजेश सिंह चंदेल ने इस मामले की जांच के लिए एडिशनल एसपी गजेंद्र सिंह कंवर और महिला अपराध प्रकोष्ठ प्रभारी दीप्ति तोमर को सौंपा। इस पर परिवार परामर्श केंद्र में मामला आया और पहली बैठक में दोनों पक्षों ने अपने - अपने तर्क रखे। इसके बाद महिला के ससुर की संपत्ति का आकलन किया गया जो लगभग 30 लाख निकली। इसके 6 वारिस बताए गए।

महिला के हिस्से की 6 लाख की राशि देने और राशि न मिलने तक उसे ससुराल में ही शांतिपूर्ण ढंग से बच्चों के साथ रहने देना तय हुआ। दोनों पक्ष 3 माह के भीतर समझौता अनुसार रकम लेन देन पर राजी हुए जिसमें 2 लाख रुपए का चेक महिला और दोनों नाबालिग बेटों के नाम 2-2 लाख के एफडीआर यानि कुल 6 लाख रुपए पीड़िता को दिलाए गए।

दोनों पक्षों द्वारा आपस में कोई शिकवा शिकायत नहीं करने संबंधी कुल 12 बिंदुओं पर एक नोटरी समझौता पत्र भी संपादित किया गया । इस दौरान परिवार परामर्श समिति के संयोजक आलोक एम इंदौरिया , सदस्य गीता दीवान , समीर गांधी , संतोष शिवहरे , उमा मिश्रा , डॉ खुशी खान , पुष्पा खरे , उपस्थिति रहे।

प्रदेश का पहला मामला प्रदेश का संभवतः यह पहला मामला है। जिसमें परिवार परामर्श केंद्र ने एचआईवी संक्रमित पति की विधवा संक्रमित महिला का समझौता इस ढंग से कराया है । एसपी राजेश सिंह चते इसमें अहम रही काउंसलर का आलोक इंदौरिया, दीप्ति तोमर तथा शर्मा ने इस केस महत्व भूमिका निभाई।


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