क्या इस उपचुनाव में कांग्रेस चमत्कार कर पाऐगी: कांग्रेस को सत्ता के कब्जे के लिए चाहिए क्लीनस्वीप / Shivpuri News

शिवपुरी। यदि कोई विशेष परिस्थिति निर्मित नहीं हुई तो मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के बयान के बाद यह तय माना जा रहा है कि प्रदेश में 26 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव सितंबर अंत तक अनिवार्य रूप से हो जाएंगे। मुख्य चुनाव आयोग की इस घोषणा के बाद कांग्रेस और भाजपा दोनेां दलों में तैयारियां शुरू कर दी हैं।

भाजपा को जहां सरकार में बने रहने के लिए 26 में से महज 9 सीटें जीतना आवश्यक है, जबकि कांग्रेस को अपनी दम पर दोबारा सत्ता में वापिसी हेतु सभी 26 सीटें जीतना आवश्यक है। यदि वह जोड़ तोड़कर सरकार बनाती है तो भी उसे कम से कम 19 सीटे तो जीतना होंगी। सवाल यह है कि कांग्रेस क्या इस दुर्लभ लक्ष्य को प्राप्त कर पाएगी। वह भी उस स्थिति में जबकि राजस्थान में हो रहे ताजा घटनाक्रम के कारण कांग्रेस के प्रति जनविश्वास निरंतर कमजोर होता जा रहा है।

परंतु कांग्रेस की आशा का आधार उसके द्वारा कराया गया एक सर्वे है। जिसमें बताया गया है कि चुनाव होने की स्थिति में कांग्रेस 26 में से 25 सीटें जीतने की स्थिति में है। लेकिन यह सर्वे कितना प्रामाणिक हैं, इसके बारे में सुनिश्चित रूप से कुछ भी कहना मुश्किल है।

इस समय मध्यप्रदेश विधानसभा में भाजपा विधायकों की संख्या 107 है जबकि कांग्रेस विधायकों की संख्या सिमटकर 90 पर आ गई है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 114 सीटों पर विजय श्री हांसिल हुई थी। लेकिन मार्च के बाद से अब तक चार माह में कांग्रेस के 24 विधायक इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए हैं। जिसके परिणाम स्वरूप कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ा है।

मौजूदा विधानसभा में कांग्रेस और भाजपा विधायकों के अलावा बसपा के दो, सपा के एक और चार निर्दलीय विधायक हैं। 24 विधायकों के इस्तीफे और आगर मालवा के भाजपा विधायक तथा जौरा के कांग्रेस विधायक के निधन के कारण प्रदेश में 24 सीटों पर उपचुनाव होना था।

लेकिन हाल ही में बड़ा मलहेरा विधायक प्रधुम्र लोधी और नेपानगर विधायक सुमित्रा देवी द्वारा भी कांग्रेस और विधायक पद से इस्तीफा देने के कारण अब 26 सीटों पर उपचुनाव होगा। यह भी संभव है कि कुछ और कांग्रेस विधायक भी इस्तीफा देकर उपचुनाव की सीटों की संख्या बढ़ा सकते है। इससे कांग्रेस पर दबाव बढ़ेगा।

क्योंकि उन्हें जितनी भी सीटों पर उपचुनाव होंगे उन्हें शतप्रतिशत जीतना होगा। लेकिन कांग्रेस आत्मविश्वास से परिपूर्ण दिख रही है या दिखने का स्वांग कर रही है। इस तरह से वह भाजपा पर शायद मनोवैज्ञानिक दबाव बनाना चाहती है। कांग्रेस विधायक दल की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का यह कथन शायद इसी रणनीति का अंग है कि विधायक दल की अगली बैठक प्रदेश में सरकार बनने के बाद होगी।


कांग्रेसी नेताओं का मानना है कि प्रदेश में और राजस्थान में जिस तरह से जनता द्वारा चुनी गई सरकार को पैसे के खेल से भाजपा ने पलटा है, उससे जनता नाराज है और इसकी अभिव्यक्ति उपचुनाव में देखने को मिल सकती है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस ने एक सर्वे भी कराया है। जिसके अनुसार 26 में से 25 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिलेगी। लेकिन दूसरा सवाल यह है कि जनविश्वास के सूत्र कांग्रेस के हाथ से निकल चुके हैं। जिस तरह से कांग्रेस में खींचतान और आपसी विरोध चल रहा है उससे जनता खिन्न है।

जनता के एक बड़े वर्ग का मानना है कि मध्यप्रदेश और राजस्थान में अपने हश्र के लिए कांग्रेस खुद जिम्मेदार है। वहीं यह भी माना जा रहा है कि भाजपा के सत्ता में बने रहने की संभावना बहुत प्रबल है। ऐसी स्थिति में विपक्ष के हाथों विधानसभा क्षेत्र की कमान सौंपना किसी तरह से भी उचित नहीं है। एक पक्ष यह भी है कि जिन विधायकों ने इस्तीफा दिया है। उनमेें से अधिकांश अपनी छवि को खो चुके हैं और जनता और उनके बीच महज डेढ़ साल में काफी अधिक दूरी बन गई।

जिस कारण उपचुनाव में उन्हें जीतना आसान नहीं होगा। उपचुनाव में सिंधिया भी मतदाताओं के बीच एक फैक्टर होंगे। ग्वालियर चंबल संभाग में कांगे्रस की जीत के पीछे सिंधिया को ही श्रेय दिया जाता रहा है और पार्टी लाईन से ऊपर मतदाता उनकी बात पर विश्वास कर कांग्रेस को जिताती रही है।

देखना यह है कि उपचुनाव में भी क्या सिंधिया की यहीं छवि कायम रहेगी। कुल मिलाकर प्रदेश में किसी एक पार्टी के पक्ष में फिलहाल स्पष्ट वातावरण नजर नहीं आ रहा। ऐसी स्थिति में 26 सीटों में से सभी 26 सीटें कांग्रेस जीत पाएगी यह बहुत मुश्किल और लगभग असंभव कार्य नजर आ रहा है।


from Shivpuri Samachar, Shivpuri News, Shivpuri News Today, shivpuri Video https://ift.tt/2COvM01