शिवपुरी। प्रदेश के मुखिया के एक आदेश के बाद मप्र के सभी जिलो में चिटफंड कंपनियो के खिलाफ शिकायते शुरू हो गई। शिवपुरी जिले में भी शिकायते भी ली गई। इसके लिए पब्लिक को एसडीएम आफिस में शुक्रवा र को लिखित में शिकायत करने का संदेश मिला तो पब्लिक टूट गई शिकायत करने। लेकिन इन चैन सिस्टम और सपने दिखाने वाली इन कंपनियो की शिकायत करने के चक्कर में कही पब्लिक कोरेाना की चैन का हिस्सा न बन गई हो।
प्रशासन सिर्फ दिखावा करता हैं
पिछले दिनो से देखने को मिल रहा हैं कि प्रशासन सिर्फ कोरोना से युद्ध करने के मामले में सिर्फ दिखावा करता हैं और भुगतना पडता हैं लॉकडाउन के माध्यम से पब्लिक को। जून माह में हुई शादियो में प्रशासन ने शादियो की मानीरिटिंग नही की। जिससे जुलाई संक्रमण का शिकार हो गए।
कल दिन भर एसडीएम आफिस के बहार शिकायत कर्ताओ के भीड जमा होती रही। प्रशासन को इस बात का भली-भांति अंदाजा था कि जिले में 10-20 नहीं बल्कि चिटफंड कंपनियों के शिकार हुए लोगों की संख्या सैकड़ों में हैं। बावजूद इसके न केवल सिर्फ एक दिन के लिए ही शिकायती कैंप आयोजित किया गया बल्कि समय भी महज 12 बजे से 2 बजे तक का दिया गया।
इतना ही नहीं भीड़ उमड़ने के बावजूद वहां न तो पीने के लिए पानी की व्यवस्था थी और न ही छांव की। लोग यहां-वहां पेड़ों के नीचे छांव की तलाश करते नजर आए। दिन भर उमस और गर्मी के बीच लोग कोरोना संक्रमण के खतरे के साथ सटे हुए अपनी बारी के लिए धक्का-मुक्की तक करते नजर आए। कई लोग भीड़ देखकर संक्रमण के खतरे को भांपते हुए बिना आवेदन दिए लौट आए। इन लोगों का कहना है कि आवेदन देने की समय सीमा और बढ़ाई जाए।
20 हजार से 20 लाख तक फंसा चिटफंड कंपनियों में
शिवपुरी शहर और जिले की बात करें तो यहां पीएसीएल, सहारा, एन मार्ट सहित चेन सिस्टम वाली तमाम कंपनियों में लोगों का 20 हजार से लेकर 20 लाख रुपये तक फंसा है। कम समय में बड़ी रकम लौटाने के कारण इन कंपनियों का शिकार बेहद गरीब लोगों से लेकर शहर के कई रसूखदार और सरकारी कर्मचारी भी हुए हैं। इनमें से कई कंपनियों के कार्यालय पर ताले लटके हुए हैं तो जो खुले हुए हैं, वहां भी कोई सुनवाई नहीं है।
सपने बेचे ऐजेंटो ने,मोटा कमीशन लेकर मोबाईल बंद उधर कंपनी भी फरार
कतार में लगे लोग जहां चिटफंड कंपनियों के संचालकों से नाराज नजर आए। वहीं उनका गुस्सा इन कंपनियों में कमीशन लेकर लोगों का पैसा लगवाने वाले एजेंटों पर भी जमकर फूटा। कतार में लगे मातादीन, हरिओम, सुमन बाई, देवेंद्र शर्मा आदि का कहना था कि स्थानीय कई एजेंटों पर भी एफआईआर दर्ज होना चाहिए।
क्योंकि उन्होंने ही सब्जबाग दिखाकर अपनी गारंटी पर हम लोगों का पैसा लगवाया था और अब पल्ला झाड़ रहे हैं। लोगों का कहना था कि इन एजेंटों ने तो लाखों कमीशन बनाकर अपने बारे-न्यारे कर लिए और हमें भगवान भरोसे छोड़ दिया। इन एजेंटों में शहर के कई रसूखदार लोगों के साथ-साथ सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं।
चार काउंटर भी नजर आए नाकाफी
कार्यालय में आवेदन के लिए कुल 4 काउंटर बनाए गए थे, लेकिन सैकड़ों की भीड़ के आगे ये काउंटर भी नाकाफी नजर आए। तीन काउंटर पुरुषों के लिए थे जबकि एक काउंटर महिलाओं के लिए बनाया गया था। वहीं गिने-चुने दिव्यांग आवेदकों के आवेदन बिना कतार में लगाए सीधे ले लिए गए थे। करीब एक घंटे तक तो आवेदन की पावती रजिस्टर में एंट्री करने के बाद दी जा रही थी, लेकिन जब भीड़ बढ़ती चली गई तो नायब तहसीलदार पवन चंदेलिया ने हालात देखते हुए सीधे आवेदन पर काउंटर से पावती दिलवाना शुरू किया और एंट्री देर शाम तक जारी थी।
दो घंटे में तीन हजार से अधिक आवेदन
भीड़ के कारण तत्काल एंट्री नहीं हो पाई थी और शुक्रवार देर शाम तक यह प्रक्रिया जारी थी। आवेदन कार्य के प्रभारी नायब तहसीलदार चंदेलिया ने बताया कि फिलहाल सिर्फ महिला काउंटर की एंट्री पूरी होने को है जहां 300 से अधिक आवेदन आए हैं जबकि पुरुषों के 3 काउंटरों पर आवेदनों की संख्या का आंकड़ा कल क्लीयर हो पाएगा। बताया जाता है कि तीनों पुरुष काउंटरों पर औसतन 800 से 1200 तक आवेदन आए हैं। ऐसे में आवेदनों की संख्या 3 हजार से अधिक है और इनमें सबसे ज्यादा शिकायतें पीएसीएल और सहारा की हैं।
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