2019 यानि बीते साल पाकिस्तान ने 3168 बार युद्धविराम का उल्लंघन किया है। युद्धविराम का एक दिन में कई-कई बार उल्लंघन आम बात होती जा रही है। इन घटनाओं से साफ है कि पाकिस्तान युद्धविराम समझौते के उल्लंघन के अपने रवैये से बाज नहीं आ रहा है। इतना ही नहीं गोलाबारी की आड़ में पाकिस्तानी सेना आतंकवादियों की घुसपैठ कराती रही है, यह भी कई बार साबित हो गया है। ऐसा नहीं है कि भारत की सेना जवाब नहीं दे रही भारतीय सेना और सुरक्षाबलों की मुस्तैदी और जवाबी कार्रवाई में अपने सैनिकों और आतंकियों के मारे जाने के बाद भी पाकिस्तान का रवैया सुधर नहीं रहा है।
उपलब्ध अधिकृत आंकड़े कहते हैं, इस वर्ष जून की दस तारीख तक पाकिस्तानी सेना द्वारा युद्धविराम के उल्लंघन की 2027 घटनाएं हो चुकी हैं। पिछले माह के पहले दस दिनों में ही ऐसी 114 वारदातें हुई हैं।
वैसे भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 2003 से युद्धविराम लागू है। 2003 से लागू इस समझौते के बाद से सबसे अधिक घटनाएं 2019 में हुई थीं, तब 3168 बार युद्धविराम का उल्लंघन किया गया। वर्ष 2018 में यह आंकड़ा 1629 रहा था।इस साल अब तक की संख्या इंगित कर रही है कि पाकिस्तान अपनी हरकतोंऔर तौर-तरीकों में कोई बदलाव लाने के लिए तैयार नहीं है। अब तक लगभग सौ घुसपैठिये आतंकवादी भारतीय सीमा के प्रहरियों द्वारा मारे जा चुके हैं, लेकिन मीडिया रिपोर्टों की मानें, तो बहुत सारे आतंकी पाकिस्तानी सेना द्वारा प्रशिक्षित होकर घाटी में घुसने की फिराक में हैं।
हालांकि कश्मीर घाटी में सुरक्षाबलों ने अपनी चौकसी बहुत तेज कर दी है तथा आतंकियों को मारने व पकड़ने का सिलसिला चल रहा है। सरकार के पास यह भी सूचना है कि आतंकी संगठनों ने 50 से अधिक स्थानीय युवकों को भी आतंकवादी गतिविधियों के लिए चयनित किया है| इस तथ्य से सभी अवगत हैं कि भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर निगरानी रखना बहुत चुनौतीपूर्ण कार्य है, परंतु सेना के जवान और अन्य बलों के सुरक्षाकर्मी वीरता एवं सतर्कता के साथ अपने उत्तरदायित्व को निभा रहे हैं, परन्तु कुछ जयचंद अभी भी पाकिस्तान को चोरी-छिपे मदद कर रहे हैं, सूचना दे रहे हैं।
सीमा पर निरंतर चौकसी बढ़ाने और गोलाबारी का जवाब देने के साथ यह भी सोचा जाना चाहिए कि आखिर कब तक पाकिस्तानी सेना की हरकतों को बर्दाश्त किया जाता रहेगा? लगातार उल्लंघनों को देखते हुए यह सवाल उठना भी स्वाभाविक है कि दिन में 10 बार गोलाबारी से ऐसे युद्धविराम समझौते का मतलब क्या रह जाता है? पूर्वी लद्दाख में बीते दिनों जब भारत और चीन के बीच तनातनी का माहौल था, तब पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान से लगी नियंत्रण रेखा पर सैनिकों की तादाद बढ़ा दी थी| जिसका युद्धविराम के सन्दर्भ में गहरा अर्थ है।
इसका मतलब तो यही निकलता है कि चीन की तरह पाकिस्तान भी घात लगाने की जुगत में है| सरकार और सेना इस आशंका से आगाह हैं कि युद्ध या सीमित लड़ाई की स्थिति में चीन और पाकिस्तान की जुगलबंदी हो सकती है, लेकिन हमें अर्थात भारत के हर नागरिक को पाकिस्तानी चुनौतियों से निपटने को तैयार रहना चाहिए।पाकिस्तान की हर चाल की काट पर भी ध्यान देना चाहिए| सरकार को भी चाहिए अगर जरूरत पड़े, तो सर्जिकल स्ट्राइक या बालाकोट जैसे लक्षित हवाई हमलों की तर्ज पर सीमित या त्वरित कार्रवाई करे जिससे पाकिस्तान को सबक सिखाया जा सके| अब भारत के पास सुरक्षा परिषद में भी प्रभावी भूमिका है, पाकिस्तान के खिलाफ सुरक्षा परिषद में भी मोर्चाबंदी करने का यह उपयुक्त समय भी है।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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