व्यंग्य कर्म पर केंद्रित व्यंग्यधारा समूह अपने विचारोत्तेजक व्यंग्य एवं रचना विमर्श के लिए देश भर में चर्चित है . इस समूह में समूचे देश के सौ से अधिक सक्रिय व्यंग्यकार जुड़े हुए हैं । आज “परसाई युगीन व्यंग्य और आज का व्यंग्य“ विषय पर विमर्श गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी का प्रारंभ व्यंग्यधारा समूह के संचालक रमेश सैनी के उद्बोधन तथा आज के अतिथि द्वय क्रमश: व्यंग्य यात्रा के सम्पादक व वरिष्ठ व्यंग्यकार प्रेम जन्मेजय तथा व्यंग्य समालोचक व व्यंग्यकार सुभाष चंदर के उद्घाटन वक्तव्य से हुआ । इसके पश्चात प्रश्नोत्तर सत्र हुआ जिसमें देश भर से उपस्थित व्यंग्यकारों के लगभग २२ प्रश्नों का उत्तर अतिथि विद्वानों द्वारा विस्तार से दिया गया ।
एक प्रश्न के उत्तर में प्रेम जन्मेजय ने कहा - विधा श्रेष्ठ नहीं होती वल्कि रचना श्रेष्ठ होती है । इस मौके पर व्यंग्यधारा यूट्यूब चैनल का शुभारंभ भी किया गया जिसे बनाने का कार्य युवा व्यंग्यकार नवीन जैन ने किया है तथा मशहूर कमेण्ट्रेटर व व्यंग्यकार प्रभात गोस्वामी ने स्वर दिया है । व्यंग्यधारा चैनल की पहली प्रस्तुति के रूप में बंगलौर से श्री अरुण अर्णव के मनोरम व्यंग्य पाठ को इस चैनल पर सुना देखा जा सकता है . आगे प्रति सप्ताह एक व्यंग्य प्रस्तुति की योजना है.
विमर्श कार्यक्रम में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, दिल्ली, हरियाणा, कर्नाटक आदि से लगभग ६० व्यंग्यकारों ने भाग लिया जिनमें प्रमुख थे - प्रमोद ताम्बट, सुनील सक्सेना, राकेश सोहम, विवेक रंजन श्रीवास्तव, शांतिलाल जैन, नवीन जैन, रामस्वरूप दीक्षित, जय प्रकाश पांडे, सुधीर चौधरी (मप्र), अनूप शुक्ला, श्रवण कुमार उर्मलिया, वीना सिंह, राजेन्द्र वर्मा, बल्देव त्रिपाठी, पंकज प्रसून (उप्र), स्नेहलता पाठक, राजशेखर चौबे, वीरेन्द्र सरल (छग), प्रभाशंकर उपाध्याय, बुलाकी शर्मा, प्रभात गोस्वामी, हनुमान मुक्त, संजय पुरोहित (राजस्थान), दिलीप तेतरबे (झारखंड), वागीश सारस्वत, केपी सक्सेना दूसरे, समीक्षा तैलंग, प्रिया उपाध्याय (महाराष्ट्र), कमलेश पांडे, ललित लालित्य, रणविजय राव, सुनीता शानू, सुनील जैन राही (दिल्ली) । गोष्ठी का सफल संचालन रमेश तिवारी (दिल्ली) व आभार प्रदर्शन वागीश सारस्वत (मुम्बई) द्वारा किया गया ।