भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी, पर्वू मंत्री कमलेश्वर पटेल, पूर्व मंत्री सचिन यादव, विधायक दिलीप सिंह गुर्जर, सिद्धार्थ कुशवाहा, राहुल लोधी एवं प्रवक्ता श्रीमती विभा पटेल ने एक संयुक्त प्रेसवाता में मध्यप्रदेश सरकार पर 27 प्रतिशत आरक्षण को, जिसे कमलनाथ सरकार ने दिया था, तत्काल लागू करवाने की मांग की। कांग्रेस ने यह भी घोषणा की है कि अन्य पिछड़ा वर्ग के अधिकार पर बहस करने के लिए अदालत में वह पार्टी की ओर से वरिष्ठ वकीलों को खड़ा करेगी।
आबादी ज्यादा इसलिए आरक्षण भी ज्यादा होना चाहिए: कांग्रेस का तर्क
मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग की जनसँख्या प्रदेश की कुल जनसँख्या का लगभग 86 प्रतिशत है एवं अकेले अन्य पिछड़ा वर्ग की जनसँख्या लगभग 54 प्रतिशत है। कांग्रेस सरकार ने मध्यप्रदेश लोकसेवा अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण अधिनियम मे वर्ष 2019 में संशोधन कर पिछड़ा वर्ग के लिए शासकीय सेवाओं में आरक्षण का प्रतिशत 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया था। साथ ही साक्षात्कार एवं पदोन्नति समितियों में भी अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधि को रखना आवश्यक किया था।
संविधान में आरक्षण की कोई लिमिट फिक्स नहीं है: कांग्रेस का तर्क
मध्यप्रदेश लोक सेवा संसोधन अधिनियम 2019 में प्रदत्त आरक्षण के विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय में विभिन्न याचिकाएं दायर की गई जो कि विचाराधीन हैं एवं निकट भविष्य में इनकी सुनवाई होना संभावित है। इन याचिकाओं में मुख्यतः आरक्षण के कुल प्रतिशत को आधार बनाया गया है। जबकि भारत के संविधान के किसी भी अनुच्छेद में आरक्षण की कोई अधिकतम सीमा निर्धारित नहीं है।
27 प्रतिशत आरक्षण विधेयक पर कांग्रेस अपनी ओर से अन्य पिछड़ा वर्गों का पक्ष रखने हेतु एक वरिष्ठ अधिवक्ता का प्रबंध करेगी किन्तु वर्तमान सरकार का यह दायित्व है कि अन्य पिछड़ा वर्गों की अधिकारिता पर विद्धेष का ग्रहण न लगने दे। कुछ निर्णय सामाजिक अधिकारिता प्रदान करने हेतु आवश्यक होते हैं और इन्हे राजनैतिक विद्धेष की बलि नहीं चढ़ना चाहिए।
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