भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज (दिनांक 28 जून 2020) मन की बात के दौरान विभिन्न संकटों से जूझ रहे भारत के नागरिकों को चुनौतियों से जूझने की प्रेरणा देने के लिए जिस गीत (यह कल-कल छल-छल बहती क्या कहती गंगा धारा) की पंक्तियां सुनाई थी, आई है उसकी इसको पूरा पढ़ते हैं।
यह कल-कल छल-छल बहती क्या कहती गंगा धारा ?
युग-युग से बहता आता यह पुण्य प्रवाह हमारा ।धृ|
हम इसके लघुतम जलकण बनते मिटते हैं क्षण-क्षण
अपना अस्तित्व मिटाकर तन-मन-धन करते अर्पण
बढते जाने का शुभ प्रण प्राणों से हमको प्यारा ।१|
इस धारा में घुल मिलकर वीरों की राख बही है
इस धारा में कितने ही ऋषियों ने शरण ग्रही है
इस धारा की गोदी में, खेला इतिहास हमारा ।२|
यह अविरल तप का फल है, यह राष्ट्रप्रवाह प्रबल है
शुभ संस्कृति का परिचायक, भारत मां का आंचल है
हिंदू की चिरजीवन, मर्यादा धर्म सहारा ।३|
क्या इसको रोक सकेंगे, मिटने वाले मिट जायें
कंकड पत्थर की हस्ती क्या, बाधा बनकर आये
ढह जायेंगे गिरि पर्वत कांपे भूमंडल सारा ।४|
|| यूट्यूब पर सुनिए ||
from Bhopal Samachar | No 1 hindi news portal of central india (madhya pradesh) https://ift.tt/2BLJPmF