शिवपुरी। पोहरी विधानसभा क्षेत्र में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी कुलदीप इंदौरा के आगमन के अवसर पर विधानसभा क्षेत्र के टिकट के दावेदारों ने कांग्रेस से भाजपा में गए ज्योतिरादित्य सिंधिया पर करारे हमले किए। खास बात यह थी कि हमला करने वाले अधिकतर वे दावेदार थे, जो सिंधिया के कांग्रेस छोडऩे से पूर्व उनके कट्टर अनुयायी माने जाते थे।
हमला करने वालों में मुख्य रूप से पूर्व विधायक हरिवल्लभ शुक्ला, 2008 में पोहरी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े एनपी शर्मा, अखिल शर्मा, आदि मुख्य थे। जिन्होंने सिंधिया पर भ्रष्टाचार से लेकर पार्टी से गद्दारी तक के आरोप लगाए। इस अवसर पर पोहरी विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी राजकुमार पटेल और जिला कांग्रेस अध्यक्ष श्रीप्रकाश शर्मा भी मौजूद थे। जिनके समक्ष टिकट के अन्य दावेदारों लक्ष्मीनारायण धाकड़, विनोद धाकड़ एडवोकेट आदि ने भी सिंधिया विरोध को हवा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
पोहरी विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रहे हरिवल्लभ शुक्ला ने स्वीकार किया कि पोहरी की लड़ाई आसान नहीं है। क्योंकि यहां मुकाबला भाजपा प्रत्याशी सुरेश राठखेड़ा से नहीं बल्कि उन ज्योतिरादित्य िसंधिया से है जिनके लिए प्रदेश के 22 उपचुनाव के परिणाम जीवन और मरण का विषय हैं।
इनमें से 16 उपचुनाव ग्वालियर-चंबल संभाग में होने हैं। श्री शुक्ला ने आरोप लगाया कि सिंधिया ने भाजपा से सौदेबाजी कर प्रदेश की कांग्रेस की सरकार को अपदस्थ करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। इसके लिए उन्होंने भाजपा से एक बड़ी डील की और अपने लिए राज्यसभा की सीट तथा केन्द्र में मंत्री पद मांगा।
लेकिन यदि इन 22 चुनावों के परिणाम भाजपा के लिए विपरीत रहे तो निश्चित रूप से भाजपा में सिंधिया कमजोर होंगे। श्री शुक्ला ने कहा कि सिंधिया के अलावा हमारी लड़ाई मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी है क्योंकि 22 उपचुनावों में भाजपा की पराजय से उनकी सत्ता जाएगी। सिंधिया और शिवराज के अलावा हमें केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और शासन तथा प्रशासन से भी मुकाबला करना है और यह मुकाबला तब ही हम जीत सकते हैं।
जब जिसे भी टिकट मिले उसे जिताने में हम पूरी ताकत से लग जाए। श्री शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस ने सिंधिया को पर्याप्त बजन दिया। उन्हें कई बार सांसद और दो बार केन्द्रीय मंत्री बनाया। कांग्रेस संगठन में उन्हें राष्ट्रीय महासचिव तथा एआईसीसी में विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया। संभाग में उनकी इच्छा के बिना पत्ता भी नहीं हिलता था।
कमिश्रर से लेकर चपरासी तक के स्थानांतरण उनसे पूछे बिना नहीं होते थ्ेा। श्री शुक्ला ने कहा कि भाजपा में शामिल होने के पूर्व सिंधिया 7 दिन पहले करैरा आए थे तब उन्होंने किसानों से कहा था कि प्रदेश सरकार किसानों की सरकार है और हमने किसानों का कर्जा माफ किया। लेकिन अब वह पलट गए हैं। श्री शुक्ला ने भाजपा प्रत्याशी सुरेश राठखेडा को भी निशाने पर लिया और कहा कि श्री राठखेड़ा जो चाहते थे वह पोहरी में होता था।
चपरासी से लेकर टीआई तक के स्थानांतरण उनकी इच्छा से होते थे। 2018 का चुनाव उन्होंने उधारी के पैसे से लड़ा लेकिन डेढ़ साल में ही उनके पास 5-5 जेसीबी मशीने कैसे आ गई। श्री शुक्ला ने कहा कि यदि उपचुनाव में सिंधिया के सभी 22 प्रत्याशी हार जाते हैं तो फिर कभी कोई जयचंद तथा गद्दार बनने की हिम्मत नहीं दिखाएगा। श्री शुक्ला ने सिंधिया को नैतिक रूप से बहुत कमजोर व्यक्ति बताया और कहा कि हार को वह सहन नहीं कर पाए।
2008 का विधानसभा चुनाव लड़े कांग्रेस प्रत्याशी एनपी शर्मा ने रहस्योदघाटन किया कि उस चुनाव में सिंधिया के कारण वह हारे और इसी कारण उनके माथे पर कलंक लगा है। सिंधिया ने उन्हें टिकट तो दिया लेकिन फिर हरवा दिया। क्योंकि उन्हें मेरी जीत से ज्यादा किसी अन्य प्रत्याशी की हार में रूचि थी और मुझे दाव पर लगाकर उन्होंने अपना मकसद साध लिया।
मेरी इच्छा है कि 2008 में जो दाग सिंधिया ने मुझ पर लगाया था, मैं उसे चुनाव लड़कर और जीतकर धोना चाहता हूं। श्री शर्मा ने कहा कि कांग्रेस सिंधिया के जाने के बाद पहली बार मुक्त हुई है और यह कहना गलत है कि सिंधिया के जाने के बाद कांग्रेस कमजोर हुई है।
कांगे्रस में आज जो उत्साह देखने को मिल रहा है उससे स्पष्ट है कि उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को जीत मिलेगी तथा टिकट सर्वे के आधार पर जिसे भी दिया जाए उसे जिताने के लिए सभी कार्यकर्ता तन-मन-धन से कार्य करेंगे। टिकट के एक अन्य दावेदार अखिल शर्मा ने कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले विधायकों को जयचंद की संज्ञा दी और कहा कि उपचुनाव में जनता इन्हें सबक सिखाएगी। इसके पहले टिकट दावेदारों ने शपथ ली कि टिकट जिसे भी दिया जाएगा वे उसके लिए काम करेंगे।
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