मध्य प्रदेश, 6 मई 2020 : देशभर के लाखों कलाकारों, कलासाधकों और कार्यकर्ताओं के प्रेरणास्त्रोत, संस्कार भारती के संरक्षक पद्मश्री डॉ विष्णु हरिभाऊ श्रीधर वाकणकर के जन्मशताब्दी वर्ष के उद्यापन समारोह के मौके पर संस्कार भारती परिवार अपने फेसबुक पेज के ज़रिए दर्शकों के साथ लाइव जुड़ी । संस्कार भारती संगठन कला एवं साहित्य को समर्पित अखिल भारतीय संगठन है।
ऐसे कई कर्मवीर हमारे देश में जन्में हैं जिनका योगदान अतुलनीय रहा है पर हम उनके बारे में जानते तक नहीं, उनमें से एक हैं डॉ वाकणकर जी , जिन्होने प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व के क्षेत्र में अपने बहुविध योगदान से अनेक नये पथ का सूत्रपात किया। संस्कार भारती की यात्रा में भी साथ।
भीमबेटका, सरस्वती नदी की खोज करने वाले प्रसिद्ध इतिहासकार, पुरातत्ववेत्ता, अन्वेषक पद्मश्री डॉ श्रीधर हरिभाऊ वाकणकर जी की जन्मशताब्दी के उद्यापन पर अनेक महानुभावों ने डॉ वाकणकर के योगदान और एक आदर्श जीवन के बारे में वीडियो के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किये। मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने भी सन्देश भेजकर श्रद्धांजलि प्रदान की।
अन्य चर्चित नाम हैं - श्री सुभाष घई फिल्म निर्देशक एवं निर्माता, श्री मधुर भंडारकर फिल्म निर्देशक निर्माता, श्री समीर अंजान गीतकार, श्री सलीम आरिफ रंगकर्मी कॉस्टयूम डिजाइनर एवं अभिनेता, डॉ चंद्रप्रकाश द्विवेदी लेखक निर्देशक, श्री अनूप जलोटा भजन सम्राट, श्री मुकेश खन्ना अभिनेता, श्री हरीश भिमानी लेखक एवं महाभारत धारावाहिक में मैं समय हूं, श्री अजय चक्रवर्ती, कोलकाता शास्त्रीय संगीत गायक, श्री विक्टर बैनर्जी कोलकात अभिनेता, डॉ सोनल मानसिंह, दिल्ली नृत्यांगना संस्कृति विदुषी एवं सदस्य राज्यसभा, श्री प्रहलाद पटेल जी केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री भारत सरकार, मुनि स्वामी चिदानंद सरस्वती, हरिद्वार, महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी, हरिद्वार, श्री मनोज जोशी अभिनेता, श्री गजेंद्र चौहान अभिनेता एवं चेयरमैन एफटीआईआई, श्रीमती मालिनी अवस्थी लोक गायिका, संस्कृति मंत्री अरुणाचल, केके मोहम्मद पुरातत्व वेता केरल, श्रीमती सुमित्रा महाजन पूर्व लोकसभा अध्यक्ष इंदौर, श्री राजीव वर्मा रंगकर्मी एवं अभिनेता, डॉक्टर गिरीश चंद्र त्रिपाठी पूर्व कुलपति बीएचयू, श्री हरेंद्र कुमार सिन्हा रांची पुरातत्वविद एवं पूर्व संस्कृति सचिव झारखंड, श्री अजय मलकानी वरिष्ठ रंगकर्मी रांची, श्रीमती आलोका कानूनगो ओडिसी नृत्यांगना और श्री प्रहलाद टिपानिया कबीर वाणी के गायक देवास मध्य प्रदेश। इन सभी हस्तियों ने डॉ वाकणकर जी का स्मरण करते हुए उन्हें भावांजलि व शब्दांजलि दी।
कार्यक्रम का संचालन डॉ वाकणकर जन्मशताब्दी वर्ष के संयोजक डॉ रवींद्र भारती ने किया।
डॉ रवींद्र भारती ने फेसबुक लाइव वीडियो में कहा कि कृतज्ञ राष्ट्र और संस्कार भारती के सभी कार्यकर्ता, डॉ वाकणकर जी के जन्मशती वर्ष पर पावन स्मरण करते हुए उनको अपनी श्रद्धांजलि और भावांजलि अर्पित कर रहे हैं और इस अवसर पर सभी कार्यकर्ताओं के घरों में डॉ वाकणकर जी के चित्र के समक्ष दीपक जलाकर के उनका स्मरण किया जा रहा है।
कार्यक्रम की शुरुआत संगीत विधा के संयोजक अमर कुलकर्णी और उनके साथियों द्वारा एक गीत की प्रस्तुति देकर की गई । कार्यक्रम की कड़ी में पद्मश्री से सम्मानित संस्कार भारती के संस्थापक पद्मश्री बाबा योगेन्द्र जी ने भी अपने भावपूर्ण विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर डॉ वाकणकर जी के जीवन पर बना एक वृत्तचित्र भी दिखाया गया।
वृत्तचित्र में दिखाया व बताया गया कि पद्मश्री डॉ विष्णु हरिभाऊ श्रीधर वाकणकर (4 मई 1919 – 3 अप्रैल 1988) भारत के एक प्रमुख पुरातत्वविद् थे। उनका जन्म मध्यप्रदेश के नीमच में हुआ था। उन्होंने भोपाल के निकट भीमबेटका के प्राचीन शिलाचित्रों का अन्वेषण किया। वे संस्कार भारती से सम्बद्ध थे, संस्कार भारती के संस्थापक महामंत्री थे। डॉ॰ वाकणकर जी ने अपना समस्त जीवन भारत की सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजने में अर्पित किया। उन्होंने अपने अथक शोध द्वारा भारत की समृद्ध प्राचीन संस्कृति व सभ्यता से सारे विश्व को अवगत कराया। उन्होंने उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय में पुरातत्व विभाग और संग्रहालय की स्थापना की। उन्होंने 'सरस्वती नदी भारतवर्ष में बहती थी', इसकी अपने अन्वेषण में पुष्टि करने के साथ-साथ इस अदृश्य हो गई नदी के बहने का मार्ग भी बताया। आर्य-द्रविड़ आक्रमण सिद्धान्त को झुठलाने बाली सच्चाई से सबको अवगत कराने का महत्वपूर्ण कार्य सम्पादित किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में आने पर उन्होंने आदिवासी क्षेत्रों में सामाजिक और शैक्षिक उत्थान कार्य भी किया।
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन विकास मंत्री श्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने कहा की में ऐसे महापुरुष के चरणों में नमन करता हूँ और आने वाली पीढ़ी से प्रार्थना करता हूँ की सादगी के साथ, जिस त्याग शक्ति के साथ इस पुरातत्वीय अनुसंधान में उन्होंने अपनी तपस्या लगाई है, उसका हम स्मरण करें, यही सच्ची श्रदांजलि वाकणकर जी के चरणों में होगी। मैं उनकी शताब्दी के इस इस पूर्ण आहुति पर उनका नमन करता हूँ और उनको विशवास दिलाता हूँ, चूकि पुरातत्ववेत्ता संस्कृति मंत्रालय का हिस्सा है , ऐसे महापुरुष मंत्रालय के प्रेरणा बनते रहेंगे और आने वाली पीढ़ी की भी प्रेरणा बनते रहेंगे।