भोपाल। 11 फरवरी 2020 को ऐतिहासिक मिन्टो हाल में आयोजित हुआ ‘‘राष्ट्रीय जल सम्मेलन’’ अपने ऐतिहासिक उद्घोष के साथ जल का अधिकार एवं नदियों के पुनरोद्धार की दिषा में एक मील का पत्थर सिद्ध हुआ। इस ‘‘राष्ट्रीय जल सम्मेलन’’ का शुभारंभ प्रदेष के दूरदर्षी मुख्यमंत्री माननीय श्री कमलनाथ जी ने किया तथा सम्मेलन की अध्यक्षता जलपुरूष श्री राजेन्द्र सिंह ने की। इस अवसर पर प्रदेष के लोक स्वास्थ्य यंात्रिकी, मंत्री श्री सुखदेव पांसे जी भी उपस्थित रहे। अपने उद्बोधन में श्री पांसे ने कहा कि जीवन के लिये हवा के बाद पानी एक आवष्यक तत्व है तथा वर्तमान परिदृष्य में ‘‘पानी’’ की उपेक्षा के कारण ही प्रदेष सरकार के मुखिया माननीय श्री कमलनाथ जी द्वारा ‘‘जल अधिकार कानून’ की शुरूआत की गई और इस कानून द्वारा यह सुनिष्चित किया जायेगा कि ‘‘पर्याप्त एवं पीने योग्य पानी सभी प्रदेषवासियों को हर मौसम में प्राप्त होता रहे।
श्री पांसे जी ने बताया कि इस कानून में वर्षा की प्रत्येक बंूद को सहेजने का उत्तरदायित्व भी सुनिष्चित किया जावेगा तथा पानी की बचत के साथ इसकी री-साइकलिंग करके भी शुद्ध जल की मांग की आंषिक रूप से पूर्ति की जायेगी। उन्होंने ‘‘राइट-टू-वाटर’’ को चुनौती न मानते हुये इसे प्रदेष की जनता की सेवा का एक अच्छा अवसर निरूपित किया और बताया कि वर्ष 2024 तक प्रदेष के सभी गाॅंवों में शत प्रतिषत नल कनेक्षनों के माध्यम से जल प्रदाय किया जाना सुनिष्चित किया जायेगा।
वाटरमैन श्री राजेन्द्र सिंह जी ने इस अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री कमलनाथ जी की दूरदृष्टि की सराहना करते हुये ‘‘राइट-टू-वाटर एक्ट’’ को जल सुरक्षा की दिषा में एक अभूतपूर्व कदम बताया। उन्होंने कहा कि नदियों की हालत आंकड़ों के द्वारा नहीं, बल्कि नदी के कैचमेंट में कुछ ठोस सुधार करके ही उन्हें अविरल स्वच्छ धारा तथा स्वच्छ किनारा युक्त बनाकर सुधारी जा सकती है।
उन्होंने अन्य राज्यों को भी मध्यप्रदेष राज्य से सीख लेते हुये ‘‘जल कानून’’ बनाने की दिषा में कदम बढ़ाने की सलाह भी दी। फिर केन्द्र द्वारा नया ‘‘नदी बेसिन कानून’’ लागू हो जाने पर राज्यों द्वारा इससे हट कर कानून लाना भी संभव नहीं हो पायेगा।
माननीय मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने इस अवसर पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, मंत्री श्री सुखदेव पांसे एवं वाटरमैन श्री राजेन्द्र सिंह को उनके अच्छे प्रयासों के लिये बधाई दी और कहा कि सबका जीवन पानी से जुड़ा है और उनका तो राजनीतिक जीवन में पदार्पण भी अपरोक्ष रूप से ‘‘पानी’’ के कारण ही हुआ है। उन्होंने बताया कि वर्ष 1969 में सौंसर के एक गाॅव की महिलाओं ने जब अपने गाॅव के बेटों की शादी न होने की वजह गाॅव से 12 किमी. चल कर पानी लाने की बाध्यता बतायी, तब माननीय मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने चुनाव मैदान में आकर उनकी समस्या के लिये कुछ करने की ठानी। माननीय मुख्यमंत्री जी ने पानी के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों के अधिकतम उपयोग पर जोर दिया तथा यह भी कहा कि यदि अभी भी हमने जल संरक्षण नहीं किया और जागरूक नहीं हुये तो आने वाली पीढ़ियाॅ हमें माफ नहीं करेंगी। उन्होने इस अवसर पर ‘‘राइट-टू-वाटर’’ की चुनौती के लिये अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुये जलपुरूष श्री राजेन्द्र सिंह को देष भर के चक्कर कम करके तीन माह में म.प्र. के जल अधिकार कानून को अमली-जामा पहनाने का उत्तरदायित्व सौंपा और कहा कि जल एवं पर्यावरण की सुरक्षा हम सभी का सामाजिक कर्तव्य है। उन्होने कहा कि देष का हृदय प्रदेष होने के नाते हम देष भर के पानी की आवष्यकता की पूर्ति करना चाहते हैं। माननीय मुख्यमंत्री एवं सम्मानीय मंच द्वारा जलपुरूष श्री राजेन्द्र सिंह की पुस्तक ‘‘मैं जल हूॅ’’ का विमोचन भी किया गया।
इस अवसर पर कानूनविद् श्री अनुपम सराफ, तेलंगाना जल बोर्ड के अध्यक्ष श्री प्रकाष राव, झारखण्ड के विधायक श्री सरयू राय, 2030 वाटर रिसोर्स ग्रुप (वल्र्ड बैंक) के श्री अनिल सिन्हा, नीरी, नागपुर के डाॅ. कृष्णा खैरनार, जलगुरू श्री महेन्द्र मोदी, पर्यावरणविद् सुश्री इंदिरा खुराना व सुश्री प्रतिभा षिंदे तथा डाॅ. स्नेहिल दोंडे, मुंबई और कर्नाटक के पूर्व मंत्री श्री बी. आर. पाटिल के अतिरिक्त अन्य राज्यों से आये अनेक विषेषज्ञों ने भी अपने विचार व्यक्त कर अनुभव साझा किये। आयोजन में प्रदेषके 25 से अधिक राज्यों से विषय विषेषज्ञों ने सहभागिता दी इसके अतिरिक्त यूनिसेफ, इंडिया, प्रमुख श्री माइकल जूमा भी उपस्थित रहे।
उक्त सभी विषेषज्ञों एवं वक्ताओं द्वारा जल के अधिकार और प्रदेष की नदियों के पुर्नजीवित किये जाने के संबंध में इनसे जुड़े अनेकानेक पहलुओं पर रोषनी डाली और महत्वपूर्ण सुझाव भी दिये, जिन्हें मध्यप्रदेष में तैयार हो रहे जल के अधिकार अधिनियम में शामिल भी किया जावेगा। वक्ताओं द्वारा पानी के मुददे पर महिलाओं की महती भागीदारी जन सामान्य को अधिकार के साथ-साथ उसकी जिम्मेदारियों से अवगत कराने हेतु जन जागरूकता पर जोर दिया गया तथा कहा गया कि किसी भी ग्राम में गाॅव के ही पानी का उपयोग किया जाना ही मितव्यीय है हमें पानी को जनभागीदारी सुनिष्चित कर स्थानीय स्तर पर ही सहेजना होगा एवं पानी की उपलब्धता के मान से अपनी जीवनचर्या एवं क्रियाकलापों को बदलना होगा।
कार्यक्रम का समापन मध्यप्रदेष के पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री कमलेष्वर पटेल ने किया तथा आभार श्री सी.एस. संकुले, प्रमुख अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा व्यक्त किया गया।