संदीप विश्वकर्मा गुनौर: गुल चढाऐंगे लहद पर,जिनसे यह उम्मीद थी ! वह भी पत्थर रख गए सीने में दफन आने के बाद !! सरकारी तंत्र की विफलता का पर्याय बन चुका गुनौर का प्रशासनिक अमला , केवल 30 तारीख के बाद वेतन लेने तक ही सीमित रह गया है । तभी तो गुनौर में खुलेआम मध्य प्रदेश सरकार की सुरक्षित जमीन, गोचर जमीन, भू - माफियाओं एवं गुडों की आमदनी का जरिया बनी हुई है ! कहीं पर भी सरकारी जमीन अगर है , तो गुनौर के चंद गुंडों के हवाले , मामला चाहे अनुबिभागीय अधिकारी पुलिस कार्यालय के बगल से लगी हुई, सरकारी जमीन का हो, आराजी नंबर 1013, जनपद पंचायत,भवन के पीछे का हो, पेट्रोल पंप के पीछे 1105 सरदार वल्लभभाई पटेल विद्यालय के आस पास की सरकारी जमीन की बिक्री का हो । या फिर छिगम्मा रोड के मुख्य मार्ग पर दर्जनों एकड़ जमीन की अतिक्रमण करके बिक्री करने का हो , यहां सभी जगह भू माफियाओं का कहर और आतंक इस कदर से फैला हुआ है कि महकमा के सूरमा अपनी लाचारी,बेबसी को झेलते यह सब कुछ देखने को मजबूर है ।
क्यों बिक रही सरकारी जमीन -
जानकार सूत्रों की अगर मानें तो तहसीलदार बी.ऐम. शुक्ला से लेकर तहसीलदार एमपी उदैनिया के कार्यकाल में जमकर भ्रष्टाचार एवं अतिक्रमण हुआ । उसके बाद दो तहसीलदारों में ऋषी नारायण सिंह एवं, निवर्तमान तहसीलदार लाखन सिंह की कड़ी कार्यवाही के चलते भू माफिया एवं अतिक्रमण कार्यों में हड़कंप मच गया था । मगर दलालों एवं कमीशन खोर जनप्रतिनिधियों के कारण दोनों तहसीलदारों को तीन माह में ही चलता कर दिया गया । क्योंकि भू माफियाओं के तार लाचार और बेबस जनप्रतिनिधित्व की भ्रष्ट कार्यप्रणाली की दम पर चलाएं मान थे ।
कौन - कौन बेंच रहा सरकारी जमीन -
सरकारी जमीन की बिक्री कोई ऐरा गैरा नत्थू खैरा नहीं , कर रहा बल्कि जनपद पंचायत का एक चपरासी, स्कूल का एक मास्टर राजस्व विभाग का एक पटवारी, एवं चंद जाति विशेष के लोग जिन्हें गुरु घंटाल कहते हैं , वह बालाजी सरकार मंदिर के आसपास की सरकारी जमीन को खुलेआम लाखों रुपए में बिक्रय करके कौन बनेगा करोड़पति का गेम खेल रहे हैं।
हर बार नोटिस बांटने के बाद बंद हो जाती है कार्यवाही -
हमारे द्वारा हर बार भूमिया भू माफियाओं के खिलाफ समाचार पत्रों में प्रशासनिक अफसरों को नींद से जगाने के लिए समाचार प्रकाशित किए जाते हैं कि साहब सरकारी जमीन खुलेआम बिक रही है तो हर बार की भांति अति कुछ अतिक्रमणकारियों को नोटिस देकर पेशियां करवा ली जाती है चंद रुपए का जुर्माना कर दिया जाता है अतिक्रमण कारी बकायदा इलाज एवं आलीशान बंगला में नक्शा के मुताबिक इमारत खड़ी करने में मस्त हैं सवाल उठनालाजमी है कि जब अधिकारियों ने नोटिस बांट दिए तो अतिक्रमण कौन कर रहा है क्यों नहीं डर पैदा कर पाए गुनौर के अधिकारी अगर यूं ही चलता रहा तो बची कुची सरकारी जमीन जिनको पूर्व में राजमहल खुद अधिकारी पटवारी एवं बाबू की मिलीभगत से क्राय विक्रय करवा गया तो बकायदा रस्म अदायगी तक सीमित यह कार्यवाही जारी रहेगी ,और सरकारी जमीन यूं ही बिकती रहेगी ।
करोड़ों रुपए में एक भू माफिया ने आखिर कैसे बेच लिया आराजी नंबर 1013 का रकबा -
सरकारी जमीन की बिक्री करवाने में खुद राजस्व महकमा के सूुरमा मिले हुए हो 2 करोड़ों रुपए की सरकारी जमीनवँधधह्र तो विक्रय होगी ही वरना आराजी नंबर 1013, जिसका क्षेत्रफल 8 एकड़ से ज्यादा था उसकी बिक्री करोड़ों रुपए में करके एक कॉलोनी चपरासी बसा लेता है । यह सवाल अभी सवाल बना हुआ है जवाब किसी के पास नहीं है ।
इनका कहना है -
आपके द्वारा दी गई जानकारी को मैं तहसीलदार गुनोर से पूछ कर नियमानुसार कार्यवाही करूंगा !
शिकलचंद परस्ते
अनुविभागीय अधिकारी राजस्व गुनौर
- आप ने जानकारी दिया है मैं दिखाता हूं ।
राजेंद्र कुमार मिश्रा,
तहसीलदर गुनौर