संदीप विश्वकर्मा/पन्ना। भला हो गुनौर विधानसभा के जनप्रतिनिधियों का जो समय-समय पर जनता की मूलभूत सुविधाएं मुहैया करा पाने में सक्षम साबित नहीं हो पा रहे मगर गांव-गांव शराब पहुंचाने वाले शराब माफियाओं के गुर्गे अवैध मोटरसाइकिल एवं वीआईपी चार पहिया वाहन में अवैधानिक तरीके से खुलेआम दारू की सप्लाई कर रहे हैं जिसके चलते आज तक इस पर बंदिश लगाए जाने हेतु कोई ठोस कारगर कदम नहीं उठाया गया है। जिसके कारण सारी प्रशासनिक कारगुजारियां हवा-हवाई होती दिख रही हैं।
लोगों का तो यहां तक कहना है कि शराब माफियाओं को अगर पानी का ठेका दे दिया जाता तो सुबह सवेरे ही घर घर पानी बोतलों में पहुंच जाता मगर बुरा हो उन हुक्मरानों एवं प्रशासनिक कारगुजारियों को संवैधानिक तरीके से संचालित करने वाले सूरमाओं का जो कागजों में फर्राटे मारती हुई कलम से ऊंचे ओहदे में बैठे अपने आकाओं को यह बताते रहते हैं कि हमारे क्षेत्र में शराबबंदी पूर्णतया है मगर यह बात सही नहीं है 100 आने सच की बात अगर कहे तो ऐसा कोई गांव नहीं जो गुन्नौर विधानसभा में शराब के शिकंजे एवं अवैध बेकारी करने वाले शराब माफियाओं की आगोश में ना आया हो बूढ़े तो बूढ़े अब जवान भी दो पैक लगाकर अपने दिन की शुरुआत ऐसे ही करते हैं कि मानो सारे देश की जिम्मेदारियों का जिम्मा इन्हीं के पास हो ।
गुनौर में शराब बेकारी करने का तरीका अनोखा -
खबरचियों की अगर मानें तो बिहार प्रांत की तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी शराबबंदी का ढोल जोर-जोर से पीटा गया था । लोग तो यहां तक कहने लगे थे कि सुबह ब्रश मंजन करने के उपरांत नित्य क्रिया से निवृत होते हुए मध्य प्रदेश की जनता मुंह में गंगाजल और तुलसी खाकर घर से निकलेगी मगर हरबोलों की कथनी और करनी में उल्टा कर दिया अब तो हालात गुनौर में इस तरह से हैं कि शराब विभाग के उड़नदस्ते को ठेंगा दिखाते हुए उनसे अच्छी वीआईपी लग्जरी कारें सफेद रंग की लेकर जिसमें गाड़ी का नंबर नहीं लिखा होता है उसमें शराब की पेटियां लाद करके पहुंचाने की जिम्मेदारियां बखूबी निभा रहे हैं ।
देव स्थल के बगल में बिकती है शराब -
गुनौर का अति व्यस्ततम एरिया एवं हरद्वाही तिराहा अर्थात हम यूं कहें कि शराब पेकारी का बाईपास अड्डा हरद्वाही तिरगड्डा बना हुआ है । जहां पर शंकर एवं हनुमान जी के मंदिर से होते हुए प्राचीन पतरिया देवी माता का स्थान जहां पर हर शुक्रवार श्रद्धालुओं का जमघट अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए लगा रहता है तो वहीं दूसरी ओर शराब के नशे में धुत बेवड़े दो पैक मार कर श्रद्धा एवं भक्ति के रंग में भंग डालने का काम करते हैं कई बार तो यहां पर विवाद की स्थिति भी पैदा हो जाती है कहां जाता है कि जिस जिम्मेदारियों से जिम्मेदारान वाहन चेकिंग करते हैं । अगर उसी जिम्मेदारी से सुबह दारु के ठेके के पास चले जाएं तो सफेद रंग की जिप्सी एवं मोटरसाइकिल में खुलेआम लादे जा रहे शराब के कार्टून की सप्लाई देखकर हैरान नहीं होंगे क्योंकि यह रोजाना का काम है मगर इसको देखने वाला कौन है अपनी अपनी जिम्मेदारियों का ढोल पीटते हुए यहां पर अपना-अपना काम बड़ी ही आदर्शवादी विचारधारा से करते हुए अमन और शांति में तमाम कर रहे हैं ।
मनमाने दामों पर शराब मिलने से बेवड़े परेशान -
जन सामान्य की समस्याओं को आवाम की जुबान से सुनते हुए हमने जब इसमें रुख किया तो दो बेवड़े मिल गए पैक लगाए हुए बड़े दुखी मिजाज से बोले कि साहब हमारी भी तो सुनो हमारी भी कुछ समस्याएं हैं आखिर हम भी तो कुछ समाज के अंग हैं बेबड़ो का कहना है कि गुनौर की शराब दुकान में हमें शराब मनमाने दामों एवं कीमत से अधिक दामों में शराब दी जाती है अगर हम ठेके पर दारू लेने जाते हैं तो गद्दीदार कहते हैं कीमत नहीं देखो पीना है तो पियो वरना चलते बनो अब बताइए हम अपनी व्यथा की आपबीती किससे सुनाए ।
अंततः शासन प्रशासन के जिम्मेदार मुलाजिमों से आवाम की अपील है कि जन सामान्य को न्याय प्रदान करने के लिए कम से कम देव स्थलों एवं गांव-गांव अवैधानिक तरीके से पहुंचाई जा रही शराब एवं तरकारी करने वाले गुंडों पर दबिश देकर के उन पर रोक लगाएं वरना बेचारे मोटरसाइकिल चालकों का बिना हेलमेट के नाम पर चालान काटने से दुर्घटनाएं नहीं रुकेगी क्योंकि दुर्घटना में अहम रोल नशा एवं शराब का भी होता है।